सत्य मरता नहीं ...सिसकता है
कालिख भरे से कोने में ,
मारने की साजिशे बेकार होंगी
विष का डर क्यूँ ,विष होने में ,
नजर में पाकीजगी पर गुमाँ था हमे
शक नहीं अब भी होने में ,
बहुत सारे बिल पड़े बाकी अब तलक
वक्त लगेगा अदा होने में ,
मेरे घर का छप्पर उड़ा है तूफां से
सहम के बैठा हूँ कोने में ,
एक दीप जल रहा है बाकी अभी भी
शक नहीं रब के संग होने में,
मान भी लूं कुछ बेअदबी अगर हुयी है
कसर थी ?बाकी डुबोने में,
आह! शहर में अँधेरा क्यूँ गहराया है
क्यूँ बैठा है आफ़ताब कोने में.-विजयलक्ष्मी
कालिख भरे से कोने में ,
मारने की साजिशे बेकार होंगी
विष का डर क्यूँ ,विष होने में ,
नजर में पाकीजगी पर गुमाँ था हमे
शक नहीं अब भी होने में ,
बहुत सारे बिल पड़े बाकी अब तलक
वक्त लगेगा अदा होने में ,
मेरे घर का छप्पर उड़ा है तूफां से
सहम के बैठा हूँ कोने में ,
एक दीप जल रहा है बाकी अभी भी
शक नहीं रब के संग होने में,
मान भी लूं कुछ बेअदबी अगर हुयी है
कसर थी ?बाकी डुबोने में,
आह! शहर में अँधेरा क्यूँ गहराया है
क्यूँ बैठा है आफ़ताब कोने में.-विजयलक्ष्मी
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