Friday 26 December 2014

" आंसू एक जैसे गिरने चाहिए "



दर्द किसी का भी हो 
मौत कही भी कहर ढहाए 
गोलिया किसी भी देह को छलनी करे 
आंसू एक जैसे गिरने चाहिए 
उत्सव पर दर्द हो बिखरा दर्द के श्वेत पुष्प झरने चाहिए 
दोगलापन कहू किसका मातम है मेरे घर का
मातम पर घंटिया नहीं मोमबत्तियां ही जलनी चाहिए
" क्रिसमस मेरी "है तो तुम्हारी कैसे हुयी सोचना
पेशावर की मौत दुनिया को आंसू थमा गयी
आसाम की मौत पर भी छाती छलनी होनी चाहिए
न दर्द बिखरा न आंसूओं का सैलाब आया
जिन्दगी जिंदगी में अंतर क्या फानी होनी चाहिए
यहाँ भी फूल थे आंगन के यहाँ भी जिन्दगी खोई किसी के लाल ने
दरारे खींचने वालों तुम्हारी अदाकारी भी फजीहत होनी चाहिए
दौलत के पुजारी बने मिडिया वाले सभी
सत्य को उजागर करे मिले मान्यता वरना मुमानत होनी चाहिए
----- विजयलक्ष्मी

" हवस की खोपड़ी है इंसानी देह पर "

कलम चली रंग दुनिया का लेकर
वही हर कदम नया इतिहास घडते हैं

खौफ ए मौत दरमियाना कद करले
उनके कदम हर लम्हा आगे ही बढ़ते हैं

सत्य की लकीरे झूठ को लील डाले
वक्त के साथ ऐसा इतिहास घडते हैं

रौशनी रूह की फरमान उपरवाले का
इंसानियत के झण्डे मुहब्बत पर पलते हैं

भूख उगने लगती है जब दिमाग में
तब कातिल ही तलवार के भेंट चढ़ते हैं

हवस की खोपड़ी है इंसानी देह पर
रौशनी और रोशनाई अपनी घडते है ---- विजयलक्ष्मी

Sunday 21 December 2014

" रंगीन लिबासो में लिपटा सच चुभता नहीं है "

मार कर खुद को चलो जिन्दा हो जाते हैं ,,,
तोडकर पिंजरा छोडकर देह ... गगन में उड़ जाते हैं 
रूह बनकर इस दुनिया से गुजर जाते हैं 
करने दो इन्तजार दुनिया को ...हम फिर मिलने से मुकर जाते हैं 
जिन्दगी मुर्दों की बस्ती दफन है और हम जिन्दा से दीखते लोगो में मुर्दा 
चलो लाशो को खुला नहीं छोड़ा जाता ...सडन उठती है
नश्वर दुनिया का सच ........नग्न आँखों से देखो
रंगीन लिबासो में लिपटा सच चुभता नहीं है
अच्छा किया प्रभु .............आत्मा को अद्रश्य बना दिया तूने
यहाँ सबका ही मगर बाजार लीग दिया
तू डाल डाल तो पात पात है इंसान
उसने कुछ नहीं छोड़ा ....... तू भी नहीं मिलता किसी से
डर लगता है कही तुम्हे भी किसी ने तो नहीं चुरा लिया
----- विजयलक्ष्मी

" मैं फरिश्ता नहीं हूँ "

" मैं फरिश्ता नहीं हूँ ,,
इन्सान हो नहीं सकता ..क्यूंकि 
उसके लिए शर्त है जिन्दा होना 
मुर्दा होता तो सड़ चूका होता ये तन 
बस पुतला हूँ .. एक 

हाडमांस का ...दीखता हूँ जिन्दा सा
दफन हो चूका हूँ कब्र में अपनी
वक्त आने दो ...
चार कंधो पर लेजाकर आखिरी विदा तो ...आग पर ही होगी
क्यूंकि अभी धर्म नहीं बदला हमने
".
---- विजयलक्ष्मी

Friday 19 December 2014

" साहित्य तो साहित्यकार लिखते हैं "

" हम मन का उबाल लिखते है ,
जीवन का अंधकार लिखते है
दुनियावी व्यापर लिखते हैं
वतन की ललकार लिखते हैं
साहित्य तो साहित्यकार लिखते हैं


हम तो दर्द लिखते हैं
पहाड़ो पर जमी बर्फ लिखते है
दिल की जमी पर जमे हर्फ लिखते हैं
इंसा कमजर्फ लिखते है
कब वक्त को बना थानेदार लिखते हैं
साहित्य तो साहित्यकार लिखते हैं

हमारा क्या कुछ शब्द उकेरते हैं
दिल के कुछ जख्म उधेड़ते है
व्यर्थ के कुछ मौसमी राग छेड़ते हैं
न मिले अपना तो उधार लिखते है
साहित्य तो साहित्यकार लिखते हैं

बच्चो की गिल्ली डंडा लिखते हैं
परीक्षाफल में बैठा अंडा लिखते है
छब्बीस जनवरी का झंडा लिखते हैं
कभी ताजमहल तो कभी कुतुबमीनार लिखते हैं
साहित्य तो साहित्यकार लिखते हैं

चूल्हे पर पकती भूख लिखते है
सरकार औ साहूकार का झूठ लिखते हैं
बंदूक में लगी लकड़ी को मूठ लिखते हैं
छाती छलनी करती बंदूक लिखते हैं
हमकलम के किस्से सिलसिलेवार लिखते हैं
साहित्य तो साहित्यकार लिखते हैं

हम पीड़ा मन की लिखते हैं
बिमारी समाजिक तन की लिखते हैं
मुश्किले जीवन की लिखते हैं
इंसा का बनाया बाजार लिखते हैं
साहित्य तो साहित्यकार लिखते हैं "
----- विजयलक्ष्मी

" ये कलयुग है जी"



" ये कलयुग है ,,द्वापर नहीं ..
कृष्ण बनने की चाहत लिए सभी हैं 
राधा भी चाहिए ..लेकिन ..
उसका नेह नहीं उसकी देह लगे प्यारी
अवसर चाहिए ..
राह कोई भी हो ..चाह यही है
हाँ ...यह कलयुग ही है ..
यहाँ राधा तस्वीर में पुजती है
मन्दिर में पुजती है
ईमान में नहीं पुजती
पुज भी नहीं सकती
कहा न ...ये कलयुग है
यह नेह रस नहीं देह रस के आकांक्षी हैं धरा पर
इल्जाम हैं हर ईमान पर
यहाँ राधा हो ही नहीं सकती
हो भी जाये तो जी नहीं सकती
क्यूंकि ...वह तो व्यभिचारिणी हैं
कलंकिनी ...अशुचिता औरत है
कृष्ण बनने की ललक तो है ..लेकिन
न राधा का चरित्र पाच्य है
न कृष्ण का सुंदर मन .
चलो बहुत हुआ ,,
यहाँ बंधन और तलाक होते हैं
बाजार में सब हलाक होते हैं
दोस्त और दोस्ती के रंग चाक होते हैं
समझ नहीं आई न अभी ----
ये कलयुग है जनाब "
यहाँ रावण और कंस मिलेंगे हर देह में
जीवन अपभ्रंश मिलेंगे नेह में
न्यायालय हैं... वकील हैं
कागजी दलील हैं
कुछ लिखी हुई तहरीर हैं
मकान हैं लिबास हैं ..
बस गुनाह नेह का अहसास है
कहा न ...
ये कलयुग है
मीरा की खातिर नाग है
मोमबत्ती का राग है
स्त्री होना अभिशाप है .
अत्याचार बलात्कार हाहाकार सबकुछ है यहाँ
हर चौराहे पर खड़ा बाजार है यहाँ
हर कोई खरीददार हैं यहाँ
बिको या न बिको
कीमत लगती है बाजार में
सबको इंतजार है यहाँ
बोला न सबको ...
ये कलयुग है जी"
----- विजयलक्ष्मी

Thursday 18 December 2014

" तू सोया है कहाँ ? "



" नहीं हूँ मैं यहाँ 
करूंगा भी क्या रहकर यहाँ 
जिन्दगी का कोई भरोसा नहीं 
बचपन भी क्या एक धोखा नहीं 
सुना था ईश्वर रहता था यहाँ कभी 
आज गोलिया है संगीनों के साए है 
मौत नाचती है सीने पे रोती हुई माए हैं 
फिर भी ...फिदायीन आजाद है 
इंसानियत आज बर्बाद है 
मरने वालो की ज्यादा तादाद है 
कभी गर्भ में रहते माँ को मारा 
कभी मेरी धरती रंगी लहू से अपनों के 
कभी मेरे लहू से 
ए खुदा तू ही बता ...क्या तूने लकीरों में बदा
तू सोया है कहाँ ?
या थी तेरी ही मर्जी दामन तेरा भी लहू में रंगा जाये 
क्या तेरी प्यास बुझी नहीं जल से 
लहू की तलब तुझको उठी क्यूँ 
ये दीन कैसा ...कैसा ये मजहब 
इंसानियत मौत की खातिर होती तलब 
यही इंसाफ गर तेरा ...तो सुन ,,
क्या है तेरी दुनिया में जो इस दुनिया में देखू 
खून खराबा मारकाट ,,दहशतगर्दी या बेशर्मी 
सरहद में बांटता ..
समन्दर में बांटता 
पर्वत में बांटता ..
सहरा में बांटता ..
प्यार से बांटता ...यूँ नफरत न बांटता 
तेरी बनाई मूर्तियों ने ही तेरी बनाई मूर्ति तोड़ दी 
इंसानियत की साडी हदे ही तोड़ दी 
ईमान बिक रहा है चौराहों पर 
औरत को खेत इंसा को रेत ..बच्चो पर मौत नचाई 
कैसा खुदा है तू ..है ये कैसी तेरी खुदाई 
क्या तुझे मानु क्यूँकर तुझे पहचानू 
या कहदू तुझे भी ..ए खुदा--- होगा तू जिसका खुदा होगा 
तू मेरा खुदा नहीं ... क्यूंकि इंसान हो गया हैवान और...

 तुझे पता नहीं "

.-- विजयलक्ष्मी

" पूछते हो ,,कयामत आने का सबब "


" गीले से रंग देकर मुझे दिल के,
पूछते हो,, मुस्कुराने का सबब||

मेहँदी में ख्वाब पलको में सुरत
पूछते हो,,आंसू बहाने का सबब||

अरमानों की महफिल लगाकर
पूछते हो,,दामन उड़ाने का सबब||

लहर उम्मीद की अहसास की कश्ती
पूछते हो ,,डूबने उतराने का सबब||

गुजरे तूफ़ान औ सुनामी सा छूकर
पूछते हो ,,कयामत आने का सबब|| "
---- विजयलक्ष्मी

" मेरी वंश फसल में कल भी गीता रामायण ही विरासत होगी"

"अब पढ़ा जायेगा दर्द इबारत बनाकर 
फिर फैले होंगे हाथ इबादत बताकर 
फिर संगीने उगलेगी आग मेरे वतन की छाती पर 
कोई कोहराम यूँही देखेंगे सभी आदत बनाकर 
मोहताज लगने लगी दुनिया लहू की लहरों की 
रहेंगी यूँही रोएगे जबतक दहशतगर्दी को शाहदत बताकर
मर जाएगी इंसानियत सुबक कर देखा किये तमाशा
हथियार उठा खात्मे की गर नहीं इजाजत होगी
कभी मेरे हिन्दुस्तान की धरती लहू रंगती देख दुखी नहीं होते तुम
सोचकर देखना वही सूरतेहाल लिए सीरत की जलालत होगी
कुछ मासूम हुए शहीद तुम्हारी करनी पर ए जालिम
न सम्भल, जिन्दगी पनाह मांगेगी चमन में तेरे वो कौन हिमाकत होगी
जज्ब जज्बात इंसानियत के होते तो कुछ और बात रही होती
मेरी वंश फसल में कल भी गीता रामायण ही विरासत होगी"
---- विजयलक्ष्मी

Thursday 11 December 2014

? मैं तुम्हे तुमसे ही मांग लू "

इस तरह अपनालो ,,
न जुदा रहूँ कभी ,
मुझे इस तरह डूबा लो 
न सूख पाऊ कभी 
स्नेहरस इतना बरसा दो 
सहरा न बन पाऊ कभी
शूल बनू या पुष्प
बस महका करू हर कहीं
जिन्दगी की साँझ भी सहर सी लगे जो
जुदाई का कोई लम्हा तो टूट जाऊ तभी
ह्रदय की थाप संगीत बन गूंजती हो सदा
मिलने ऐसे प्रेम तरसता मिले खुदा
देह का नेह न हो नेह नेह का हो रहे
दूर हम कहाँ ...साथ इसतरह रहे
हम एक हो दो देह जैसे ..तटनी तट मिले
रात अमावस या पुरनम ,,
चाँद लाजमी खिले
मुझे दरिया सा बहाकर ..कुछ कमल से खिले हो
पंखुरियां जैसे भाव मन में खिले हो
न रंज हो कोई ..
चाहे तकदीर सो रही हो
अपने साथ प्रेम की भोर हो रही हो
गम के नजारे बंद हो दर्द भी पुष्प सा खिले
रक्त में हो आन शान ...मान भी मिले
तुम खुदा ...कह दिया
तुम बुततराश हो ,,
तराश दो मुझे इस तरह की तू ही साथ हो
क्या माँगना किसी और से ...तुमसे ही मांग लू
छीन लो मुझे मुझ से ही ..मैं तुमसे तुम्हे ही मांग लू
मैं तुम्हे तुमसे ही मांग लू "
--- विजयलक्ष्मी

" मुझे ईश्वरत्व नहीं इंसानियत देना "

जीवन का प्रवाह 
न सन्यास न उच्छ्लन्खता 
न सियासतदारी है 
न रियासतदारी है 
न त्याग की गाथा ही उतारती है उस छोर 
न स्वार्थ की कामना 
न इश्वर से होने वाला सामना
न इश्वर तुल्य होने की इच्छा 
न कृष्ण न शिव होने की उत्कंठा 
न पर्वत सी पीर न समन्दर के तीर 
न दर्द सुमेरु बनने की 
न उत्कंठा आकंठ भरने की 
क्या करना महान बनू मैं बहुत 
न गणना पुष्पित डालो की 
न चिंता सांसारिक भालो की 
न उद्वेलित मन विरानो सा 
न चाहा बागों सा खिलना 
विरानो के काँटों में पुष्प बना 
घनी धुप में वृक्ष घना 
सहरा में बदली सा होकर बरस बरस बरसा दे मना 
जब रात अँधेरी चंदा सा चमकू 
चमक चांदनी रौशनी भर दू 
मुस्कान बना सूखे होठो की 
उलझे लट जख्मी आहटो की 
बन नदिया सा बहना सिखला दो 
मुझको थोडा पत्थर सा बना दो 
न राह अधूरी कुछ जीवन की मारामारी 
पर्वत पर बर्फ सा थोडा संघर्ष सा 
करता विमर्श सा 
नफरत को ताले में बंद रखना 
प्रेम की धारा को नदिया सा हौसला देना 
वृक्ष की खोखर में पंछी का घोसला बनेगा 
तिनका चिड़िया दाना ..
जाल पंख जीवन का खेला 
जिसको लेकर भी मन चले अकेला 
बन सन्यासी त्याग करू जमघट का 
लेकिन इच्छा हो वासी जैसे मरघट का 
कभी मिलना हो गर प्रभु से अपने 
लालसा मुझसे ज्यादा हो 
हर बार साथ का वादा हो 
जब बिछुडू नमी आँखों में 
इंतजार बातो में 
रास्ता कटे रातो में 
दिन याद में जिन्दगी के साथ में
मयूर से नाचते हो मन के जंगल में 
गुरबत हो या सत्ता न हैवानियत देना
मुझे ईश्वरत्व नहीं इंसानियत देना 
जीवन का प्रवाह 
न सन्यास न उच्छ्लन्खता 
न सियासतदारी है 
न रियासतदारी है 
न त्याग की गाथा ही उतारती है उस छोर 
क्षितिज के उस और मिलना 
जहां रिश्ते भी फरिश्ते से होकर आँखों में तिर जाते है --- विजयलक्ष्मी

Monday 8 December 2014

" चुभन थी मीठी सी "

न 
मौन रहा मेरा 
न 
शब्द हुए मेरे
दर्द 
बिखरा सा  
किसी डाली पर जीवन-वृक्ष की
किसी डाली  
खुशबू खुशी की 
उडती सी 
मिलीं 
कहीं
 सिमटी हैं यादेँ 
कहीं 
अहसास बिखरे से 
कभी 
चोट फूलो से 
जख्म
 खारो के भले थे 
महकते तो थे 
चुभन 
थी मीठी सी 
तन्हा सा मौसम है 
तन्हाई में ,,
संवरे ....!! 
तो ..
क्यूँ संवरे ?"---- विजयलक्ष्मी

.जल्दी वर ढूंढो इसका ब्याह कराओ

बेटी ने घर में कदम रखा ..लगा 
जैसे.. बहार आ गयी आंगन में 
जैसे ..कलियाँ चटकी हो अभी अभी 
जैसे ..नव किसलय नव प्रभात का आगमन हुआ हो 
जैसे .. मोर नाच उठे हो जंगल में 
जैसे ..फूलो पर तितलियाँ थिरक उठी हो
जैसे ..भंवरे स्वागत राग गुजार उठे हो
जैसे ..बांस की पोरी को बांसुरी बना सरगम नाच उठी हो
जैसे ..आम के वृक्षों पर बोर ने मिठास हवा में बिखेरी हो
जैसे ..मन का मोर जंगल में मंगल कर उल्लासित हो
जैसे ..चंद्रमा मेरी गोदी में गगन से उतर आया हो
जैसे दग्ध धरा को पहली बरसात से मिली राहत तपती गर्मी से
जैसे ..कुंकुनाती धुप भोर की सर्दी के मौसम में
जैसे ..दीप जला हो पूजा का तुलसी के बिरवे पर
जैसे ..अभी परियां उतरी हो आंगन में मेरे
उल्लास चेहरे पर मन में रागिनी सी
माँ की जिन्दगी ..जीवन की संगिनी सी
इत्तेफाक से पीछे से एक पड़ोसन भी चली आई कुछ लम्हों के बाद
बोली ..बेटी सयानी हो गयी क्यूँ नहीं उठाती इसकी डोली
छन छन नाचता मन मयूर सहरा सा हो गया पलभर में
मेरी नाजुक सी सलोनी कैसे कब हुई इतनी बड़ी
मेरी आँखों ने क्यूँ नहीं देखा ..
मन घबराया ...नजरो ने तौला ...होठो ने बोला ..इतनी जल्दी ?
बोली पड़ोसन ..दुनिया खराब है .. जबतक दूर थी ..तुम भी मजबूर थी
समझो ..सयानी होती बेटी दुनिया की आँखों में चुभती है
हर आने जाने वाली की निगाहों में खुटती है
उम्र कम भी नहीं ...
बेटी नादान और कमसिन भी सही है
नादानी में न आओ ...जल्दी वर ढूंढो इसका ब्याह कराओ
अपनी नजरो से नहीं दुनिया की नजर का चश्मा पहनो देखो गर देख पाओ
जमाने की हवा खराब है
दुसरे पड़ोसी के बेटे का खाना खराब है
तीसरे वाले घर की बेटी के पीछे लफंगे पड़े हैं
जानती भी हो नुक्कड़ की पान वाली दूकान पर लडके क्यूँ खड़े हैं
मेरी जान धक करके रह गयी ..जितनी ख़ुशी थी सब काफूर हुई
मैं भी बेटी के ब्याह की फ़िक्र में चूर हुई
कोई लड़का नजर में हो बताना ...
ठीक कमाता हो थोडा सयाना हो
दहेज की हिम्मत नहीं है
लडकी पढ़ी लिखी है ..गृह कार्य में दक्ष है ,,
सुंदर है सलोनी है .,,
वो बोली ...दूल्हा बिकता है यहाँ तो ...सीधा बोलो कौनसा खरीदोगी
.-- विजयलक्ष्मी

Saturday 22 November 2014

" कोई बाबा कोई मदारी .. सबकी अपनी अलग पिटारी "

" वर्णों से स्वभाव की पहचान 
क्या सम्भव है श्रीमान 
जो पढ़े लिखे थे ...जिनको था ज्ञान 
बहुत काटछांट कर रखा बच्चे का नाम 
नाम का प्रथम वर्ण तो शेर जैसा बहादुर बताता था 
लेकिन मुन्ना तो कोक्रोच से ही डर जाता था
जो डरपोक और निखट था नाम से सुना है सरगना है शातिरो का
वो बेवकूफ सा वर्ण अक्षर लिए सबके कान उमेठ रहा है
करोड़ो की जायदाद बनाई करके काली सफेद कमाई
पुलिस तो हाथ भी न लगा पाई
उसकी पहुंच बहुत ऊँची है भाई
जो अनपढ़ सीधे साधे ..शब्दों से कैसे मतलब साधे
कोई ललुआ कोई कलुआ जोत रहे है खेत
ज्योतिष माना अच्छी है गणना भी होती सच्ची है
लेकिन ...गणक कहाँ है ,,
अधकचरा ज्ञान धरे बैठा हर कोई यहाँ है
कोई बाबा कोई मदारी ..
सबकी अपनी अलग पिटारी
सब लालच के मारे दौलत के भूखे फिरते मारे मारे
इसीलिए कोई आसाराम कोई रामपाल फिरता है बना रे
मजहबी दौड़ में कोई पीछे नहीं है
फतवों ने भी दौड़ मस्जिद तक लगाई है
कोई शिक्षा के फतवे नहीं देता न संस्कारो की करता बात
उन्हें स्वार्थ से मतलब ..झूठ मक्कारी की मिलती इन्सान को सौगात
जीसस भी आज तक सूली से नहीं उतरे जब से चढाये हैं
उसी सूली पर चढाये ही सैकड़ो वर्षो से क्रिसमस मनाते आये हैं
 "--- विजयलक्ष्मी



अक्षर बताएगा की आपका व्यक्तित्व कैसा है-

A
 से नाम वाले लोग काफी मेहनती और धैर्य वाले होते हैं। इन्हें अट्रैक्टिव दिखना और अट्रैक्टिव दिखने वाले लोग ज्यादा पसंद होते हैं। ये खुद को किसी भी परिस्थिति में ढाल लेने की गजब की क्षमता रखते हैं। इन्हें वैसी चीज ही भाती है, जो भीड़ से अलग दिखता हो।A- अध्ययन या करियर की बात करें तो किसी भी काम को अंजाम देने के लिए चाहे जो करना पड़े ये करते हैं, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ये कभी हारकर बैठते नहीं। A- ए से नाम वाले लोग रोमांस के मामले में जरा पीछे रहना ही पसंद करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे प्यार और अपने करीबी रिश्तों को अहमियत नहीं देते। बस, इन्हें इन चीजों का इजहार करना अच्छा नहीं लगता।A- चाहे बात रिश्तों की हो या फिर काम की, इनका विचार बिल्कुल खुला होता है। सच और कड़वी बात भी इन्हें खुलकर कह दी जाए तो ये मान लेते हैं, लेकिन इशारों में या घुमाकर कुछ कहना-सुनना इन्हें पसंद नहीं।A- ए से नाम वाले लोग हिम्मती भी काफी होते हैं, लेकिन यदि इनमें मौजूद कमियों की बात करें तो इन्हें बात-बात पर गुस्सा भी आ जाता है।


B
  अक्षर से शुरू होता है वे अपनी जिंदगी में नए-नए रास्ते तलाशने में यकीन रखते हैं। अपने लिए कोई एक रास्ता चुनकर उसपर आगे बढ़ना इन्हें अच्छा नहीं लगता। B- बी अक्षर वाले लोग ज़रा संकोची स्वभाव के होते हैं। काफी सेंसिटिव नेचर के होते हैं ये। जल्दी अपने मित्रों से भी नहीं घुलते-मिलते। इनकी लाइफ में कई राज होते हैं, जो इनके करीबी को भी नहीं पता होता। ये ज्यादा दोस्त नहीं बनाते, लेकिन जिन्हें बनाते हैं उनके साथ सच्चे होते हैं।B- रोमांस के मामले में ये थोड़े खुले होते हैं। प्यार का इजहार ये कर लेते हैं। प्यार को लेकर ये धोखा भी खूब खाते हैं। इन्हें खुद पर कंट्रोल रखना आता है। खूबसूरत चीजों के ये दीवाने होते हैं।


C
- सी नाम के लोगों को हर क्षेत्र में खूब सफलता मिलती है। एक तो इनका चेहरा-मोहरा भी काफी आकर्षक होता है और दूसरा कि काम के मामले में भी लक इनके साथ हमेशा रहता है। इन्हें आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है। अच्छी सूरत तो भगवान देते ही हैं इन्हें, अच्छे दिखने में ये खुद भी कभी कोई कसर नहीं छोड़ते।C- सी नाम वाले दूसरों के दुख-दर्द के साथ-साथ चलते हैं। खुशी में ये शरीक हों या न हों, लेकिन किसी के ग़म में आगे बढ़कर ये उनकी मदद करते हैं।C- सी नाम वालों के लिए प्यार के महत्व की बात करें तो ये जिन्हें पसंद करते हैं उनके बेहद करीब हो जाते हैं। यदि इन्हें अपने हिसाब के कोई न मिले तो मस्त होकर अकेले भी रह लेते हैं। वैसे स्वभाव से ये काफी इमोशनल होते हैं।


D
 डी नाम वाले लोगों को हर मामले में अपार सफलता हाथ लगती है। कभी भाग्य साथ न भी दे तो उन्हें विचलित नहीं होना चाहिए, क्योंकि उनकी जिंदगी में आगे चलकर सारी खुशियां लिखी होती हैं। लोगों की बात पर ध्यान न देकर अपने मन की करना ही इन्हें भाता है। जो ठान लेते हैं ये, उसे कहके ही मानते हैं। इन्हें सुंदर या आकर्षक दिखने के लिए बनने-संवरने की जरूरत नहीं होती। ये लोग बॉर्न स्मार्ट होते हैं। D- किसी की मदद करने में ये कभी पीछे नहीं रहते। यहां तक ये भी नहीं देखते कि जिनकी मदद के लिए उन्होंने अपना हाथ आगे बढ़ाया है वह उनके दुश्मन की लिस्ट में हैं या दोस्त की लिस्ट में।D- डी नाम के लोग प्यार को लेकर काफी जिद्दी होते हैं। जो इन्हें पसंद हो, उन्हें पाने के लिए या फिर उनसे रिश्ता निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। रिश्तों के मामले में इनपर अविश्वास करना बेवकूफी होगी।


E
- ई या इ से नाम वाले मुंहफट किस्म के होते हैं। हंसी-मजाक की जिंदगी जीना इन्हें पसंद है। इन्हें अपने इच्छा अनुरूप सारी चीजें मिल जाती हैं। जो इन्हें टोका टाकी करे, उनसे किनारा भी तुरंत हो लेते हैं।E- ई या इ नाम वाले लोग जिंदगी को बेतरतीव जीना पसंद नहीं करते। इन्हें सारी चीजें सलीके और सुव्यवस्थित रखना ही पसंद है। E- ई या इ से नाम वाले लोग प्यार को लेकर उतने संजीदा नहीं रहते, इसलिए इनसे रिश्ते पीछे छूटने का किस्सा लगा ही रहता है। शुरुआत में ये दिलफेंक आशिक की तरह व्यवहार करते हैं, क्योंकि इनका दिल कब किसपर आ जाए कह नहीं सकते। लेकिन एक सच यह भी है कि जिन्हें ये फाइनली दिल में बिठा लेते हैं उनके प्रति पूरी तरह से सच्चे हो जाते हैं।


F
 नाम वाले लोग काफी जिम्मेदार किस्म के होते हैं। हां, इन्हें अकेले रहना काफी भाता है। ये स्वभाव से काफी भावुक होते हैं। हर चीज को लेकर ये बेहद कॉन्फिडेंट होते हैं। सोच-समझकर ही खर्च करना चाहते हैं ये। जीवन में हर चीज इनका काफी बैलेंस्ड होता है।


F से शुरू होने वाले नाम के लोगों के लिए प्यार की काफी अहमियत होती है। ये खुद भी सेक्सी और आकर्षक होते हैं और ऐसे लोगों को पसंद भी करते हैं। रोमांस तो समझिए कूट-कूटकर इनमें भरा होता है।


G
 से शुरू होनेवाले नाम वाले लोग दूसरों की मदद के लिए हमेशा ही खड़े होते हैं। ये खुद को हर परिस्थितियों में ढाल लेते हैं। ये चीजों को गोलमोल करके पेश करना पसंद नहीं करते, क्योंकि इनका दिल बिल्कुल साफ होता है। अपने किए से जल्द सबक लेते हैं और फूंत-फूंककर कदम आगे बढ़ाते हैं ये।G से नाम वाले प्यार को लेकर ईमानदार होते हैं। प्यार के मामले में ये समझदारी और धैर्य से काम लेते हैं। कमिटमेंट से पहले किसी पर बेवजह खर्च करना इनके लिए बेकार का काम है।


H
 से नाम वाले लोगों के लिए पैसे काफी मायने रखते हैं। ये काफी हंसमुख स्वभाव के होते हैं और अपने आसपास का माहौल भी एकदम हल्का-फुल्का बनाए रखते हैं। ये लोग दिल के सच्चे होते हैं। काफी रॉयल नेचर के होते हैं और मस्त मौला होकर जीवन गुजारना पसंद करते हैं। झटपट निर्णय लेना इनकी काबिलियत है और दूसरों की मदद के लिए आधी रात को भी ये तैयार होते हैं।प्यार का इजहार करना इन्हें नहीं आता, लेकिन जब ये प्यार में पड़ते हैं तो जी जीन से प्यार करते हैं। उनके लिए कुछ भी कर गुजरते हैं ये। इन्हें अपने मान-सम्मान की भी खबह चिंता होती है।


I
 से शुरू होने वाले नाम के लोग कलाकार किस्म के होते हैं। न चाहते हुए भी ये लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने रहते हैं। हालांकि मौका पड़े तो इन्हें अपनी बात पलटने में पल भर भी नहीं लगता और इसके लिए वे यह नहीं देखते कि सही का साथ दे रहे हैं या फिर गलत का। इनके हाथ तो काफी कुछ लगता है, लेकिन उन चीजों के हाथ से फिसलने में भी देर नहीं लगती। I से नाम वाले लोग प्यार के भूखे होते हैं। आपको वैसे लोग अपनी ओर खींच पाते हैं जो हर काम को काफी सोच-विचार के बाद ही करते हैं। स्वभाव से संवेदनशील और दिखने में बेहद सेक्सी होते हैं।


J
 से नाम वाले लोगों की बात करें तो ये स्वभाव से काफी चंचल होते हैं। लोग इनसे काफी चिढ़ते हैं, क्योंकि इनमें अच्छे गुणों के साथ-साथ खूबसूरती का भी सामंजस्य होता है। जो करने की ठान लेते हैं, उसे करके ही मानते हैं ये। पढ़ने-लिखने में थोड़ा पीछे ही रहते हैं, लेकिन जिम्मेदारी की बात करें तो सबसे आगे खड़े रहेंगे ये। j से नाम वाले लोगों के चाहने वाले कई होते हैं। हमसफर के रूप में ये जिन्हें मिल जाएं समझिए खुशनसीब हैं वह। जीवन के हर मोड़ पर ये साथ निभानेवाले होते हैं।


K
से नाम वाले लोगों को हर चीज में परफेक्शन चाहिए। चाहे बेडशीट के बिछाने का तरीका हो या फिर ऑफिस की फाइलें, सारी चीजें इन्हें सेट चाहिए। दूसरों से हटकर चलना बेहद भाता है इन्हें। ये अपने बारे में पहले सोचते हैं। पैसे कमाने के मामले में भी ये काफी आगे चलते हैं।स्वभाव से ये रोमांटिक होते हैं। अपने प्यार का इजहार खुलकर करना इन्हें खूब आता है। इन्हें स्मार्ट और समझदार साथी चाहिए और जबतक ऐसा कोई न मिले तब तक किसी एक पर टिकते नहीं ये।


L
 से शुरू होने वाले नाम के लोग काफी चार्मिंग होते हैं। इन्हें बहुत ज्य़ादा पाने की तमन्ना नहीं होती, बल्कि छोटी-मोटी खुशियों से ये खुश रहते हैं। पैसों को लेकर समस्या बनती है, लेकिन किसी न किसी रास्ते इन्हें हल भी मिल जाता है। लोगों के साथ प्यार से पेश आते हैं ये। कल्पनाओं में जीते हैं और फैमिली को अहम हिस्सा मानकर चलते हैं ये।प्यार की बात करें तो इनके लिए इस शब्द के मायने ही सबकुछ हैं। बेहद ही रोमांटिक होते हैं ये। वैसे सच तो यह है कि अपनी काल्पनिक दुनिया का जिक्र ये अपने हमसफर तक से करना नहीं चाहते। प्यार के मामले में भी ये आदर्शवादी किस्म के होते हैं।



M
 नाम से शुरू होनेवाले लोग बातों को मन में दबाने वाली प्रवृत्ति के होते हैं। कहते हैं ऐसा नेचर कभी-कभी दूसरों के लिए खतरनाक भी साबित हो जाता है। चाहे बात कड़वी हो, यदि खुलकर कोई कह दे तो बात वहीं खत्म हो जाती है, लेकिन बातों को मन रखकर उस चलने से नतीजा अच्छा नहीं रहता। ऐसे लोगों से उचित दूरी बनाए रखना बेहतर है। इनका जिद्दी स्वभाव कभी-कभार इन्हें खुद परेशानी में डाल देता है। वैसे अपनी फैमिली को ये बेहद प्यार करते हैं। खर्च करने से पहले ज्यादा सोच-विचार नहीं करते। सबसे बेहतर की ओर ये ज्यादा आकर्षित होते हैं।प्यार की बात करें तो ये संवेदनशील होते हैं और जिस रिश्ते में पड़ते हैं उसमें डूबते चले जाते हैं और इन्हें ऐसा ही साथी भी चाहिए जो इनसे जी जीन से प्यार करे।


N
 से शुरू होनेवाले नाम के लोग खुले विचारों के होते हैं। ये कब क्या करेंगे इसके बारे में ये खुद भी नहीं जानते। बेहद महत्वाकांक्षी होते हैं। काम के मामले में परफेक्शन की चाहत इनमें होती है। आपके व्यक्तित्व में ऐसा आकर्षण होता है, जो सामने वालों को खींच लाता है। ये दूसरों से पंगे लेने में ज्यादा देर नहीं लगाते। इन्हें आधारभूत चीजों की कभी कोई कमी नहीं रहती और आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होते हैं ये।कभी-कभार फ्लर्ट चलता है, लेकिन प्यार में वफादारी करना इन्हें आता है। स्वभाव से रोमांटिक और रिश्तों को लेकर बेहद संवेदनशील होते हैं ये।


O
 अक्षर से नाम के लोगों के स्वभाव की बात करें तो बता दें कि इनका दिमाग काफी तेज दौड़ता है। ये बोलते कम हैं और करते ज्यादा हैं, शायद यही वजह है कि ये जल्दी ही उन हर ऊंचाइयों को छू लेते हैं जिनका ख्वाब ये देखा करते हैं। इन सबके बावजूद समाज के साथ चलना इन्हें पसंद है। जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं।प्यार की बात करें तो ये ईमानदार किस्म के होते हैं। साथी को धोखा देना इन्हें पसंद नहीं और ऐसा ही उनसे भी अपेक्षा रखते हैं। जिससे कमिटमेंट हो गया, बस पूरी जिंदगी उसपर न्योछावर करने को तैयार रहते हैं ये।


P
 से शुरू होनेवाले नाम के लोग उलझनों में फंसे रहते हैं। वैसे, ये चाहते कुछ हैं और होता कुछ अलग ही है। काम को परफेक्शन के साथ करते हैं। इनके काम में सफाई और खरापन साफ झलकती है। खुले विचार के होते हैं ये। अपने आसपास के सभी लोगों का ख्याल रखते हैं और सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं। हां, कभी-कभार अपने विचारों के घोड़े सबपर दौड़ाने की इनकी कोशिश इन्हें नुकसान भी पहुंचाती है।प्यार की बात करें तो सबसे पहले ये अपनी छवि से प्यार करते हैं। इन्हें खूबसूरत साथी खूब भाता है। कभी-कभार अपने साथी से ही दुश्मनी भी पाल लेते हैं, लेकिन चाहे लड़ते-झगड़ते सही साथ उनका कभी नहीं छोड़ते।


Q
 से नाम वाले लोगों को जीवन में ज्यादा कुछ पाने की इच्छा नहीं होती, लेकिन नसीब इन्हें देता सब है। ये स्वभाव से सच्चे और ईमानदार होते हैं। नेचर से काफी क्रिएटिव होते हैं। अपनी ही दुनिया में खोए रहना इन्हें अच्छा लगता है।प्यार की बात करें तो ये अपने साथी के साथ नहीं चल पाते। कभी विचारों में तो कभी काम में असमानता इन्हें झेलना ही पड़ता है। वैसे, आपके प्रति आकर्षण आसानी से हो जाता है।


R
 से नाम वाले लोग ज्यादा सोशल लाइफ जीना पसंद नहीं करते। हालांकि, फैमिली इनके लिए मायने रखती है और पढ़ना-लिखना इन्हें नहीं भाता। जो भीड़ करे, उसे करने में इन्हें मजा नहीं आता। ये तो वह काम करना चाहते हैं, जिसे कोई नहीं कर सकता। R से नाम वाले लोग काफी तेजी से आगे बढ़ते हैं और धन-दौलत की कोई कमी नहीं रहती।अपने से ऊपर सोच-समझ और बुद्धि वाले लोग इन्हें आकर्षित करते हैं। दिखने में खूबसूरत और कोई ऐसा जिसपर आपको गर्व हो उनकी ओर आप खिंचे चले जाते हैं। वैसे वैवाहिक जीवन में उठा-पटक लगा ही रहता है।


S
 से नाम वाले लोग काफी मेहनती होते हैं। ये बातों के इतने धनी होते हैं कि सामने वाला इनकी ओर आकर्षित हो ही जाता है। दिमाग से तेज और सोच-विचार कर काम करते हैं ये। इन्हें अपनी चीजें शेयर करना पसंद नहीं। ये दिल से बुरे नहीं होते, लेकिन उनके बातचीत का अंदाज़ इन्हें लोगों के सामने बुरा बना देती है। प्यार के मामले में ये शर्मीले होते हैं। आप सोचते बहुत हैं, लेकिन प्यार के लिए कोई पहल करना नहीं आता। प्यार के मामले में ये सबसे ज्यादा गंभीर होते हैं।


T
 से शुरू होनेवाले नाम के लोग खर्च के मामले में एकदम खुले हाथ वाले होते हैं। चार्मिंग दिखने वाले ये लोग खुशमिजाज भी खूब रहते हैं। मेहनत करना इन्हें उतना अच्छा नहीं लगता, लेकिन पैसों की कभी कमी नहीं होती इन्हें। अपने दिल की बात किसी से जल्दी शेयर नहीं करते ये।प्यार की बात करें तो रिश्तों को लेकर काफी रोमांटिक होते हैं। लेकिन बातों को गुप्त रखने की आदत भी इनमें होती है।


U
से शुरू होनेवाले नाम के लोग कोशिश तो बहुत-कुछ करने की करते हैं, लेकिन इनका काम बिगड़ते भी देर नहीं लगती। किसी का दिल कैसे जीतना है, वह इनसे सीखना चाहिए। दूसरों के लिए किसी भी तरह ये वक्त निकाल ही लेते हैं। ये बेहद होशियार किस्म के होते हैं। तरक्की के मार्ग आगे बढ़ने पर ये पीछे मुड़कर नहीं देखते।आप चाहते हैं कि आपका साथी हमेशी भीड़ में अलग नज़र आए। वह साथ न भी हो तो आप हर वक्त उन्ही के ख्यालों में डूबे रहना पसंद करते हैं। अपनी खुशी से पहले साथी की खुशियों का ध्यान रखते हैं ये।

V

 से शुरू वाले नाम के व्यक्ति स्वभाव से थोड़े ढीले होते हैं। इन्हें जो मन को भाता है वही काम करते हैं। दिल के साफ होते हैं, लेकिन अपनी बातें किसी से शेयर करना इन्हें अच्छा भी नहीं लगता। बंदिशों में रखकर इनसे आप कुछ नहीं करा सकते।बात प्यार की करें तो ये ये अपने प्यार का इजहार कभी नहीं करते। जिन बातों का कोई अर्थ नहीं या यूं कहिए कि हंसी-ठहाके में कही गई बातों से भी आप काफी गहरी बातें निकाल ही लेते हैं। कभी-कभीर ये बाते आपके लिए ही मुसीबत खड़ी कर देती हैं।


से शुरू होनेवाले नाम के लोग संकुचित दिल के होते हैं। एक ही ढर्रे पर चलते हुए ये बोर भी नहीं होते। ईगो वाली भावना तो इनमें कूट-कूटकर भरी होती है। ये जहां रहते हैं वहीं अपनी सुनाने लग जाते हैं, जिससे सामने वाला इंसान इनसे दूर भागने लगता है। हालांकि, हर मामले में सफलता इनकी मुट्ठी तक पहुंच ही जाती है।प्यार की बात करें तो ये न न करते हुए ही आगे बढ़ते हैं। हालांकि, इन्हें ज्यादा दिखावा पसंद नहीं और अपने साथी को उसी रूप में स्वीकार करते हैं जैसा वह वास्तव में है।

X

 से नाम वाले लोग जरा अलग स्वभाव के होते हैं। ये हर मामले में परफेक्ट होते हैं, लेकिन न चाहते हुए भी गुस्से के शिकार हो ही जाते हैं ये। इन्हें काम को स्लो करना पसंद नहीं, फटाफट निपटाने में ही यकीन रखते हैं ये। बहुत जल्दी चीजों से बोरियत हो जाती है इन्हें। ये क्या करने वाले हैं इस बात का पता इन्हें खुद भी नहीं होता।प्यार के मामले में फ्लर्ट करना इन्हें ज्यादा पसंद है। कई रिश्तों को एकसाथ लेकर आगे चलने की हिम्मत इनमें होती है।


से शुरू होनेवाले नाम के लोगों से कभी भी सलाह लें, आपकी सही रास्ता दिखाएंगे वह। खर्च के लिए कभी सोचते नहीं, बस खाना अच्छा मिले तो हमेशा खुश रहेंगे। अच्छी पर्सनैलिटी के बादशाह होते हैं। लोगों को दूर से ही पढ़ लेते हैं ये। इन्हें ज्यादा बातचीत करना पसंद नहीं। धन-दौलत नसीब तो होती है, लेकिन इन्हें पाने में वक्त लग जाता है।
बात प्यार की करें तो इन्हें अपने साथी की कोई बात याद नहीं रहती। हालांकि सच्चे, खुले दिल और रोमांटिक नेचर के होने के कारण इनकी हर गलती माफ भी हो जाती है।

Z

 से नाम वाले लोग दूसरों से काफी जल्दी घुल-मिल जाते हैं। गंभीरता इनके स्वभाव में है, लेकिन बड़े ही कूल अंदाज में ये सारे काम करते हैं। जो बोलते हैं साफ बोलते हैं और जिंदगी को इंजॉय करना इन्हें आता है। न मिलने वाली चीजों पर रोने की बजाय उसे छोड़कर आगे बढ़ना इन्हें पसंद है। इन्हें दिखावा नहीं पसंद। इनकी सादगी को देख इन्हें बेवकूफ समझना बहुत बड़ी बेवकूफी होगी। स्वभाव से ये रोमांटिक होते हैं। आपकी ओर कोई भी बड़ी आसानी से अट्रैक्ट हो जाता है। अपने प्यार के सामने आप किसी को अहमियत नहीं देते।

इनका विश्लेश फिर कभी |

Friday 21 November 2014

" सुन्दरता ..? "

" सुन्दरता
किसी को गुल नहीं भाते 
किसी को कांटे भी सुहाते है 
इसलिए 
कुछ लोग बबूल को नहीं काटते
कुछ घरो में नागफनी उगाते है 
सुन्दरता 
चेहरे में होती गर चाँद बेगाना ही लगता 
सुबह सहर का ठंडा सूरज दिन दुपहरी न जलता 
सुन्दरता 
बगिया में रहती क्यूँ गमले सजते 
कोई कोई मेहँदी से क्यूँ दिल नहीं रंगते 
सुन्दरता 
महलों में रहती गर झुग्गी वीरानी होती 
न हंसी गूंजती कभी न वीरानी महलो में रोती 
सुन्दरता 
आँखों में रची और बैठी दिल में आन 
इसीलिए रंग रूप रहता नहीं है भान 
सुन्दरता 
चंचल होती गर बिजुरी क्या कम थी 
रूह न चलती छोड़ देह क्यूँ अंखिया नम थी
सुन्दरता 
छिप गयी ममता और प्रेम के आंचल में 
रुनझुन बजती पायलिया के मीठे लगते नगमे "--- विजयलक्ष्मी 

Wednesday 19 November 2014

" लक्ष्मीबाई (झाँसी की रानी )के जन्मदिवस पर "

लक्ष्मीबाई (झाँसी की रानी )के जन्मदिवस पर ....श्रद्धासुमन अर्पित हैं .

कोटिश: नमन ||



" झांसी की रानी लक्ष्मीबाई
अन्य नाम मनु, मणिकर्णिका
जन्म 19 नवंबर, 1835 ( वाराणसी, उत्तर प्रदेश )
मृत्यु 17 जून, 1858 ( ग्वालियर, मध्य प्रदेश )
अविभावक ---मोरोपंत तांबे और भागीरथी बाई
पति- --राजा गंगाधर राव निवालकर
संतान--- दामोदर राव(दत्तक )
प्रसिद्धि रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झांसी की रानी और भारत की स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम वनिता थीं।
नागरिकता भारतीय.... रानी लक्ष्मीबाई का बचपन में 'मणिकर्णिका' नाम रखा गया परन्तु प्यार से मणिकर्णिका को 'मनु' पुकारा जाता था। विवाह के बाद इनका नाम 'लक्ष्मीबाई' हुआ
।"



"झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई "से एक मुलाकात ...जैसे वक्त ठहर गया था ..आंखे लबालब और सांसे अपना सुर ताल सब बदल चुकी थी ...उस जमीं को छूना ..मेरे लिए अविश्वसनीय सा सपना कहूं या हकीकत ...दिल जैसे उछलकर बाहर ही निकल आएगा ..आवाज साथ नहीं दे रही थी ..महल की दीवारों को छूने से झनझनाहट सी उठी ..जैसे बिजली गुजरी थी उसी पल ...शब्द कम कहू या जो महसूस किया शब्दों में नहीं लिख सकती ..बस ..एक मुलाकात जिसे भूल पाना ..खुद को भुलाना होगा ...बचपन की कहानियां किस्से इतिहास की तरह पढ़ी बातें ..जैसे सबकुछ पा लिया था ..झलकारीबाई सी सहेली ..मोतीबाई सी तोपची ..काना मुंद्रा सखियाँ ..धोखेबाज सिंधिया परिवार ..तलवार सिखाते नाना साहेब ..महल के उपर से घोड़े पर बैठकर छलांग लगाना ..जैसे गुजरता जा रहा था चलचित्र सा ...दीवार को छूकर दूर हटने का मन नहीं था ..हर घटना जीवन बनती चली गयी ..झांसी मेरा एक सपना ..जैसे सपना सा पूरा हुआ एक ..हाँ कहीं जिन्दा है शायद मुझमे आज भी ..मन द्रवित हो उठा ..उस अहसास को जीने का आंनद ही निराला है .--- विजयलक्ष्मी





" खंजर की चमक बिजली .उठे.खनक तलवार से  
खौफ से जीता था दुश्मन सदा जिसके वार से 
कांपते थे दिल ..डोलती थी सत्ता जिसके नाम से
गुडिया नहीं भायी उसको चूड़िया न सुहाई वक्त को
शब्द जो बोलती थी तलवार से तौलती थी
बंदूक भाला बरछी सखी दोस्त बन चले थे
था घुड़सवारी शौक .. वीरबाना जिसका पर्याय हो चले थे
सन सत्तावन को रास नहीं था ..जीवन उसका छीन लिया
कैसे जीती परतंत्र होकर स्वतंत्र मौत को बीन लिया
रणभेरी बजती भुजा फडकती और सुलगती आग सीने में थी  
लक्ष्मीबाई..गर्वित हम ,तुम जन्मी भारतभूमि में ,
नमन कोटिश: प्रथम वनिता को .|
..जीने की सीख सिखा गयी ,,
जीना मरना रह स्वतंत्र ...पाठ स्वतंत्रता सिखा गयी ..
हो गुजरी वो जिस पथ से पुष्प स्वतन्त्रता के खिला गयी ...
आने वाली पीढ़ी को भी बलिदानी राह दिखा गयी
श्रृंगार चूड़िया कब भायी हाथो में 
बचपन से भाला कृपाण संग तलवार जो आ गयी
करूं नमन कितना भी ,कम हैं ...
स्वतंत्रता की दीवानी खुद रणभेरी बजा गयी
डरी मौत से कभी नहीं वो चिता को भी भा गयी .
रक्त से कैसे लिखते हैं " देशप्रेम गाथा "सारी दुनिया को बता गयी "||



 ---- विजयलक्ष्मी 




"
उठे तूफ़ान दीवानी का तो बवंडर सा गहरता था 
लक्ष्मीबाई का नाम जुबाँ पर जब ठहरता था 
खौफ सा दुश्मन के दिल को दहलाकर ही गुजरता था 
खंजर कृपाण तलवार से वीरांगना का श्रृंगार संवरता था 
घूमती नजर जिस और रण में थी 
लहू में सबके जैसे प्राणों का संत्रास उभरता था 
तुम भूलना चाहो भूल जाओ ..वो मर रही देश पर ....
भला हो ...सोचकर देखना उसे बेटी बनाने लालसा कौन नहीं करता था 
आज स्वार्थ लटक रहा है देशप्रेम भटक रहा है 
देशपर मर मिटे जो ....रणबाँकुरे उन्हें कोई याद भी नहीं कर रहा है " 
.---- विजयलक्ष्मी 



Monday 17 November 2014

"बताओ तो,, पुरुष अपनी नसबंदी क्यूँ नहीं करवाता है ?"




" मैं मर रही हूँ 
रोज मरती हूँ 
हर बार अलग तरीके से मारी जाती हूँ 
कभी इज्जत को तार तार करके मारा जाता है कभी जलाया जाता है 
कभी दहेज के नाम पर रसोई में कभी कोख में 
कभी फेरे पर कभी सामाजिक घेरे में
कभी गरीबी हमे मारती है
कभी जरूरत मार डालती है
कभी लडको की चाहत मार डालती है
कभी बीमारी जिन्दा नहीं रहने देती
इस बार तो मुझे बहुत ही अजीब से तरीके से मारा गया
जिसमे कोई नहीं मरते ..
मरता भी कोई कैसे ..पुरुष तो कोई आगे ही नहीं बढ़ता
धकियाया जाता है औरत को सदा से
जानते हो अब लगने लगा है आदमी स्वार्थ के लिए जीता है
हमारा उपयोग करता है उसे हमारी कितनी चिंता है ..
उसका स्वार्थ पूरा तो सब जाये भाड़ में ..क्या कहा ..नहीं एसा नहीं है
तो जोर से चीखकर कहती हूँ एसा ही है ..
छत्तीसगढ़ की खबर सुनी है
अच्छा कितने पुरुषो ने अपना नसबंदी कराया है
मुझे तो सैकड़ो में कोई एक दो भी नहीं पाया है
हर घर से औरत को ही आगे बढ़ाया है
क्यूंकि कमजोर होता है पुरुष ...
पेट में बच्चा मरना हो तो औरत को ,,
बच्चा पैदा न करना हो तो औरत को
हर लड़ाई में औरत को ढाल बनाते है फिर भी पुरुष पुराण ही बनाये गाये जाते हैं
हर बंधन औरत पर आजादी पुरुष को ..लेकिन
मौत की और औरत के कदम ही पहले पाए जाते है
और आज उसी अभियान में
जनसंख्या नियन्त्रण के काम में
औरत ही खेत रही है ...जिन्दगी उसे ही रेत रही है
हर विभाग का उत्तरदायित्व पुरुष पर सिर्फ मौत को छोडकर
मुझे ये भी पता है मेरे मरते ही दूसरी आ जाएगी
मेरी मुहब्बत की चादर उसके काम आएगी
तुमने जनसंख्या नियन्त्रण में हिस्सा ही कब लिया था
तुम्हे तो बस बढ़ाना आता है
अपनी संतुष्टि के लिए देह का देह से रास रचाना भाता है
बताओ तो ...पुरुष नसबंदी अपनी क्यूँ नहीं करवाता है ?
बताओ तो.... पुरुष अपनी नसबंदी क्यूँ नहीं करवाता है ?"
---- विजयलक्ष्मी