Friday, 1 June 2012

अमृत कलश 2....



बता गर दुआ दूँ क्या कह कर दूं .
.
गम जितने तेरे आंचल में मेरे ..
खुशियाँ सभी अपनी तेरे नाम कर दूँ ..

सूर्य किरण तेरे आँगन खिले आकर
तबस्सुम मिले तेरे ही चमन से
मलयज पवन भी तेरे नाम कर दूँ ..

देदे इजाजत खुदा एक बार मुझको
धरती ,ये अम्बर, ये तारे, ये जुगनू..
सारी कायनात तेरे नाम कर दूँ ..

रंज मिले न कभी किसी राह में
बस में हों जाये एक बार गर जो
अमृत कलश सा कोई इंतजाम कर दूँ .---विजयलक्ष्मी
 

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