Saturday 11 March 2017

जी हाँ मैं उत्तर प्रदेश हूँ ||



जी हाँ मैं उत्तर प्रदेश हूँ ||

लूटती रही सरकारें मुझे फिर भी बचा शेष हूँ
मुस्कुरा उठा गर्वित हो पुन:.मैं उत्तर प्रदेश हूँ ||
जी हाँ मैं उत्तर प्रदेश हूँ ||

दीपावली के दीप औ होली के रंग लुभाते मुझे
रहा मेले में भी तन्हा बचा हुआ शेष प्रदेश हूँ ||
जी हाँ मैं उत्तर प्रदेश हूँ ||

बिखरे ख्वाब,उखड़े हुए रास्ते, पर्यटन बेहाल,
संजीवनी की करता तलाश मैं उत्तर प्रदेश हूँ ||
जी हाँ मैं उत्तर प्रदेश हूँ ||

मुस्कुराता रहा यद्यपि घायल था मेरा सीना
उखड़ी सी सांस बकाया लिए दर्द अवशेष हूँ ||
जी हाँ मैं उत्तर प्रदेश हूँ ||

सूखे खेत मेरे झूठे इरादे औ दिखावटी वादे
इन्तजार में जिया हूँ लिए दिल में क्लेश हूँ ||
जी हाँ मैं उत्तर प्रदेश हूँ ||

रंग केसरिया मुझपे ..होली में किसने डाला
सोचता हूँ मोदीमय मुस्कान नवयुग प्रवेश हूँ||
जी हाँ मैं उत्तर प्रदेश हूँ ||

आशा औ निराशा में झूलता रहू यूँ कबतक
लिए मुस्कान की अभिलाषा का खंड शेष हूँ||
जी हाँ मैं उत्तर प्रदेश हूँ || ------------- विजयलक्ष्मी

Wednesday 8 March 2017

कौन पढ़े आँखों की नमी ,,

कौन पढ़े आँखों की नमी ,,
कौन सुने अब क्या है कमी
दिन हंसते न रात सोये
मन कलियों सा सहमा सहमा
समय भी जैसे ठहरा ठहरा
उसी मोड़ पर नजरें टँगी टँगी
काया माया रंगी रंगी
और बोल मीठे से चुभते
जाने क्यूँ सब सपने अपने लगते हैं
क्या भूलू क्या याद करूं
किससे किसकी फरियाद करूं
जब से सच को पढना सीखा
जीना जैसे भूल गया मन
है तृषित जैसे हो चातक ...
धूप तडपती आंगन आंगन
कुछ महके महके से दामन में जैसे ठहरे हैं
लेकिन लगता है मन को जैसे ..
आँखों के अब भी पहरे हैं ,,
देख रही है गीली सी होकर
कब तुम मिलने आओगे ...
दिल कहता ,,,,
तैयार मिलेंगे जब आवाज लगाओगे
ओ मन के परिंदे ,,सो जा ....
आ इक लोरी गुनगुना दूं ,,
इस एक जन्म की || -------- विजयलक्ष्मी