अब याद नहीं हम तन्हा है तन्हाई में भी संग तुम हों ,
है पसरा श्वेत रंग हर तरफ जुदाई का वो रंग तुम हों |
अब याद कहाँ मेले फूलों के ,वो पुरवाई जो संग बही ,
है दर्द ए चुभन लम्हों में ,न होकर भी तो संग तुम हों |
कौन अहसास बयाँ कर पाया ,शब्द हुए फकीरों जैसे ,
दे सकते किसको क्या हम ,हम फकीर औ रब तुम हों |
बीत रहे पल पल तन्हा ,खुद से ही जुदा हम हों बैठे ,
हैं ख्वाब अधूरे लम्हे अधूरे ,मेरा अधूरापन तुम हों |
हाँ कहना चाहों जो भी तुम ,कह दो खता हमारी है ,
क्या कहना किसको क्यूँकर ,सांसों का जीवन तुम हों |
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