कलम से..
Saturday, 9 June 2012
प्रेम है यह ...
शब्दों की माला
गिनना मुश्किल है
प्रेम है यह ..
है इन्तजार
क्यूँ इतना रहता
बोल दो तुम
नवजीवन
नवबेला .. जीवन
महक उठा
रंग तेरे है
संग मेरे रहते
दीवानी हुई
ख्वाब सजा लूं
तेरे मेरे सपने
एक रंग है ..-विजयलक्ष्मी
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