बरसात
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कभी कडवी यादों के संग कभी मीठे से लेकर रंग ,
जाने क्यूँ बरसात चली आती है .
रहती पल पल साथ, जीती हुई मेरी सांसों के साथ ,
जाने क्यूँ बरसात चली आती है .
कैसे कह दूँ सब झूठ ,फिर तुम जाओगे रूठ ,बहाना सी
जाने क्यूँ बरसात चली आती है .
थमती सी रुक कर चलती जीवन की नैया मझदार, फिर
जाने क्यूँ बरसात चली आती है .
कहती हूँ मिलकर जाना, जाने कब होंगा आना,सुन बात
जाने क्यूँ बरसात चली आती है .
विजयलक्ष्मी
विजयलक्ष्मी
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