Monday, 25 June 2012

जाने क्यूँ चली आती है ...


बरसात
1.

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कभी कडवी यादों के संग कभी मीठे से लेकर रंग ,
जाने क्यूँ बरसात चली आती है .
रहती पल पल साथ, जीती हुई मेरी सांसों के साथ ,
जाने क्यूँ बरसात चली आती है .
कैसे कह दूँ सब झूठ ,फिर तुम जाओगे रूठ ,बहाना सी 
जाने क्यूँ बरसात चली आती है .
थमती सी रुक कर चलती जीवन की नैया मझदार, फिर 
जाने क्यूँ बरसात चली आती है .
कहती हूँ मिलकर जाना, जाने कब होंगा आना,सुन बात 
जाने क्यूँ बरसात चली आती है .
विजयलक्ष्मी 

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