Tuesday, 17 June 2014

" छिनार औरत ही क्यूँ है हर बार,.. छिनरे पुरुष नहीं होते कभी "


"बवंडर उठने ही वाला है.......... शरीफों की बस्ती में 
कोठे से कुछ हस्ताक्षर पन्नो पर उतर के चल चुके है ."-- विजयलक्ष्मी




बुढ़ापे में शादी करके एक स्त्री को इज्जत बख्शी कानून के कारण ,
जो खो गयी कोठे की गलियोंमें उनकी जिन्दगी का कौन करे निवारण ||
बिना डी एन ए टेस्ट के मंत्री को मंजूर नहीं हुआ सच उगलना
ये तो एक ही कहानी सामने आई है दोस्तों ..बाकी का कैसे हो प्रसारण||
दूसरे ने बीवी के रहते दस बरस पहले बहकाली दूसरे की लुगाई
कही रोटी कही बच्चे कही दौलत औ शौहरत बनी वैश्या होने का कारण||
छिनार औरत ही क्यूँ है हर बार,.. छिनरे पुरुष नहीं होते न कभी
एसा क्यूँ  बलात्कार,व्यभिचार के कानून भी बदल नहीं पाए आचरण ||
किसी को शौक चर्राया है मजबूरी खरीदकर मजबूर को बेचने का
मजबूरिया औ शौक, टकराए जर जमीं जोरू,रुतबा औ एश बना कारण|| -- विजयलक्ष्मी  

1 comment:

  1. एक ज्वलंत समस्या पर प्रभावी प्रस्तुति. आभार आपका।

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