बहुत दिनों से धुंध छाया है शहर में ,
आज मुसलसल सहर हों जाये तो अच्छा है .
मौसम में कहर ही कहर है आजकल ,
ये दिन भी थोडा सम्भल जाये तो अच्छा है .
खंजर पे धार लगा वार को बठे है तैयार ,
मौत का इल्जाम न आये उनपे तो अच्छा है .
हम मिलने न आ सके तो बेवफा पक्के है
देख जबां बोली मौत ए सामां तो अच्छा है.
मेरी मौत की खबर की दुआ मांगे बैठे है ,
सोचते है अब दुश्मन ही रहे तो अच्छा है ..विजयलक्ष्मी
आज मुसलसल सहर हों जाये तो अच्छा है .
मौसम में कहर ही कहर है आजकल ,
ये दिन भी थोडा सम्भल जाये तो अच्छा है .
खंजर पे धार लगा वार को बठे है तैयार ,
मौत का इल्जाम न आये उनपे तो अच्छा है .
हम मिलने न आ सके तो बेवफा पक्के है
देख जबां बोली मौत ए सामां तो अच्छा है.
मेरी मौत की खबर की दुआ मांगे बैठे है ,
सोचते है अब दुश्मन ही रहे तो अच्छा है ..विजयलक्ष्मी
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