Thursday 29 November 2018

मेरे शब्द दर्द से वाबस्ता थे ,,

मेरे शब्द दर्द से वाबस्ता थे ,,
लोगो ने शायरी समझी 
दर्द की हर कराहट में उभरी आह ..
लोगो ने अदावत ही समझी 
फितूर दिल का नजरों में आ गया 

उफ़ .. सरलता ने यही जिन्दगी समझी
हर शब्द चाशनी में पगा था
जिन्दगी खूबसूरत समझी
नहीं मालूम था व्यापार दिल का
हमने वही बन्दगी समझी ||

--- विजयलक्ष्मी