Sunday 14 August 2016

जय माँ भारती ,,

जय माँ भारती ,,
दुश्मन को ललकारती
है सपूत शेर उसके
स्वयम प्रभा पुकारती ||



जयहिंद !!
मेरे हर गम से बड़ी ख़ुशी वतन की है ,
देकर शीश अपने पाई रंगीनियाँ चमन की है
मिटाकर भी खुद को तिरंगे आन प्यारी है 

ये कहानी नहीं आवाज अंतर्मन की है ||
----विजयलक्ष्मी



जयहिंद ,,जय हिन्द की सेना !!
भारतीय सेना के जवान देश की सरहद पर तैनात होकर दिन-रात दुश्मनों से उसकी रखवाली करते हैं तब जाकर देश की करोड़ों जनता अपने घरों में सुकून से सोती है.
हमारी सेना का हर जवान देश के नाम मर मिटने का जज्बा रखता है और देश की तरफ आंख उठाकर देखनेवाले दुश्मनों का नामों निशां तक मिटा देता है.
पूरा देश आज़ आज़ादी के जश्न में डूबा हुआ है ऐसे में आज हम आपको बताते हैं भारतीय सेना के अनमोल वचन, जो हर हिंदुस्तानी के दिल में जोश भर देने के काफी है.

भारतीय सेना के अनमोल वचन –
1 – “मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा या फिर तिरंगे में लिपटकर आऊंगा, लेकिन मैं वापस ज़रूर आऊंगा.”– कैप्टन विक्रम बत्रा, परम वीर चक्र.
2 – “जो आपके लिए जीवनभर का असाधारण रोमांच है, वो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी है.” – लेह-लद्दाख राजमार्ग पर साइनबोर्ड (भारतीय सेना).

3 – “यदि अपना शौर्य सिद्ध करने से पूर्व मेरी मृत्यु आ जाए तो ये मेरी कसम है कि मैं मृत्यु को ही मार डालूंगा.”– कैप्टन मनोज कुमार पांडे, परम वीर चक्र, 1/11 गोरखा राइफल्स.
4 – “हमारा झंडा इसलिए नहीं फहराता कि हवा चल रही होती है, ये हर उस जवान की आखिरी सांस से फहराता है जो इसकी रक्षा में अपने प्राणों को न्योछावर कर देता है.”– भारतीय सेना.

5 – “हमें पाने के लिए आपको अवश्य ही अच्छा होना होगा, हमें पकडने के लिए आपको तीव्र होना होगा, किंतु हमें जीतने के लिए आपको अवश्य ही बच्चा होना (धोखा देना) होगा.”– भारतीय सेना
6 – “ईश्वर हमारे दुश्मनों पर दया करें, क्योंकि हम तो करेंगे नहीं.– भारतीय सेना

7 – “हमारा जीना हमारा संयोग है, हमारा प्यार हमारी पसंद है, हमारा मारना हमारा व्यवसाय है.” – ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी, चेन्नई.
8 – “यदि कोई व्यक्ति कहे कि उसे मृत्यु का भय नहीं है तो वह या तो झूठ बोल रहा होगा या फिर वो गोरखा ही होगा.” – फिल्ड मार्शल सैम मानेकशॉ.
9 – “आतंकवादियों को माफ करना ईश्वर का काम है, लेकिन उनकी ईश्वर से मुलाकात करवाना हमारा काम है.” – भारतीय सेना.
10 – “इसका हमें अफसोस है कि अपने देश को देने के लिए हमारे पास केवल एक ही जीवन है.” – ऑफिसर प्रेम रामचंदानी.

ये थे भारतीय सेना के अनमोल वचन – हमे यकीन है कि भारतीय सेना के अनमोल वचन को पढ़कर आपने दिल में देशभक्ति का सैलाब उमड़ पड़ा होगा.
हम भले ही देश की सरहद पर जाकर अपने देश के लिए कुर्बान नहीं हो सकते लेकिन सेना के उन जवानों के हौंसले और ज़ज्बे को तो सलाम कर ही सकते हैं जो हमारे लिए देश की सरहद पर मर मिटने को तैयार हैं.
भारतीय सेना के अनमोल वचन को सलाम!

देश तिरंगे का है या तिरंगा देश का
तिरंगा फहरता है बखानता है आन को ,
तिरंगा फहरता है दर्शाता है शान को 
तिरंगा फहरता है दिखाता है मान को 
तिरंगा वतन की पहचान है ,,
तिरंगा कागज का हो या खादी का तिरंगा है
तिरंगा लालकिले पर फहरे या सरकारी दफ्तर में तिरंगा है
तिरंगा मकान पर ठहरे या दूकान पर तिरंगा है
तिरंगा किसी एक धर्म का नहीं ..तिरंगा छूता किसके मर्म को नहीं
तिरंगे का धर्म राष्ट्रीयता है हमारी
तिरंगे का मर्म कर्मण्यता है हमारी
तिरंगे का कर्म स्वतंत्रता है हमारी
तिरंगे की चाह गगन तक फहराना है हमारी
तिरंगे की राह उत्थान की हमारी
तिरंगे में मैं भी हूँ तुम भी हो ..
तिरंगा जन गण का मन है
तिरंगा राष्ट्रीयता का जीवन है
तिरंगा हमारा अंतर्मन है
तिरंगा वेद है पुराण है तिरंगा ही क़ुरान है
तिरंगा देश की वाणी है ..तिरंगा जन कल्याणी है
तिरंगा कर्मयोग का मर्म है
तिरंगा ही हमारा पहला और अंतिम धर्म है -------- विजयलक्ष्मी


वन्देमातरम ...!!!!!
जयहिंद ...जय हिन्द की सेना !!!
पूजा और पूजा के मन्तव्य बदल गये ,
राहगीरो के गन्तव्य बदल गये ..
देशराग गाने वाले आरती गा रहे हैं 
अंधेरों से डर रौशनी के दलालों के घर जा रहे हैं
सूरज भी अँधेरे में आग का दमन पकड़ने चला
माचिस लेकर हाथ में छान जलाने चला
तारीकियों का खौफ ...उखाड़ देता है राह से कदम
नसीहत देने वाले दलाल ... हाथ थाम चले
जलकर मर जाते तो फख्र होता ..
खंजर चलता सीने पर यूँ पीठ पर तो वार न कर
हमे मौत का खौफ नहीं ,,काफिरी डराती है
तन्हाई रुलाती तो है ..मंजिल से कब बहकाती है
हम तलवार की धार पर चलते रहे वो पीठपर वार करते रहे
हमने समझा था जिसे योद्धा वो राह बदलते रहे
अलख जगाने वाले खुद राह भटकने लगे ||-- विजयलक्ष्मी


आतंकवाद और आतंक वादी ..
इन्हें भी जरूरत तो होती होगी शांति शब्दों की 
खुदा अल्लाह यीशु या गुरु या प्रभु रटन की 
इन्हें भी भय तो होता होगा अपनी अगली पीढ़ी के उत्थान का 
अपने गौरव के पतन का 
अपने बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा का
पारिवारिक आस्था का
माँ के आंसू और पिता की बाट जोहती आँखों का
क्या इन्हें दर्द नहीं होता
या इनका मजहब ही असलेह और बम हैं
शायद नहीं खौफ पलता है इनके भी मनों में कहीं तो जरूर
खुदा के नजदीक पहुंचने की तलब ..
जन्नत नसीब होने की आरजू में
कितनो के गुनहगार बन जाते है एक स्वार्थ के वशीभूत
कितनो की दुनिया उजाड़ देते हैं
उनकी बद्दुआओ में ..
नफरत में ..
आंसूओ से तरबतर जिन्दगी से उठते गुबार से
भला कैसे बचते होंगे ..
इंसानियत ..जिन्दा होना भी चाहती होगी तो कैसे मारते होंगे
कैसे दफन करते होंगे उन लाशों को जिन्हें बिना खता ही मार दिया
कुछ स्वार्थी मतलबी मजहब विरोधी मुसलसल बेवकूफ अंधे काफिरों के बहकावे में आकर .- विजयलक्ष्मी


रूप बदल गया ...शब्द नहीं बदले ..
हकीकत कुछ ऐसी है ..
जहां असत्य हिंसा और अधर्म का लगता पग पग फेरा ,
बना दिया गया है ऐसा देश ये मेरा ...जय सियासती जय सियासती ...
भ्रष्टाचार घोटालो का जहां दर दर डंका बजता ,
और गरीब का पेट काट कर नेता पेट है भरता ..
बना दिया गया है ऐसा देश ये मेरा ...जय सियासती जय सियासती ...
आपने ही लिखवा दिया कुछ ऐसे शब्दों को ..
यही है आम आदमी का दर्द ...
वन्देमातरम ..!!..
ढूंढिए असली गाने को ..आप भी ?- विजयलक्ष्मी


सत्य को साधन नहीं मुकम्मल राह की तलाश है ,
जिंदगी तूफ़ान सी ,मद्धम सी इक आस है ,
किसने आशा को खो दिया, किसने कहा निराश है ,
पंचांग में बस शब्द है बाकी तो कुछ भी नहीं पास है 
तलवार की धार को मगर अब लहू की प्यास है ,

जिंदगी अब तू जुआ सा हों गयी ,
ताश के पत्तों का घर कोई पत्थर बताकर चल दिया ,
मंजिल की फ़िक्र वो करे जिसे खुद पर नहीं विश्वास है ,
एक दिन की बात क्या दर्द अब तो अनवरत ही साथ है ,
कायरों की बात क्या मैदान ए जंग से भाग खड़े होते है जो ,
उसपे तुर्रा लड़ने की बताते नई ये रीत है ,
इंसानियत तो मर गयी अब जनाजा भी उठाओ ,,,
बेटी को कह दो ...अब जन्म न ले जमीं पर ,
सर उठाकर चलना दूभर हों गया है ,
ये देश अब निरंकुशों का घर हों गया है ,
रास्ते सीधे नहीं हैं ,सेंध लगती चोरी से ,
बस में कुछ नहीं होते जिनके वो अकड़ते सीना जोरी से ,
हमको मगर उस हाल में भी पीठ दिखाना भाता नहीं ,
मौत भी मंजूर है ,लहू के धरे बहे ,,,
झंझावात उठा दें एक ही हुंकार से ,
छोड़ दे दुश्मन मैदान एक ही ललकार से ,
खौफ नहीं अदब है बस ,काँटों से डरते नहीं ,
अपने घर में खुश बहुत है औरों पे कब्जा करते नहीं
.----------.विजयलक्ष्मी


1 comment:

  1. यलगार लिखे हर बार लिखे .सादर

    ReplyDelete