कलम से..
Thursday, 14 June 2012
खुदा खैर करे .....
खुदा खैर करे और आंसूं न मिले उसको ...
दामन फैला है गम उसके हिस्से के मुझे मिले जाएँ ..
छू भी सके तपिश ए गम कभी भी उसको ..
खुदारा , खार है गर उसके हिस्से से मुझे मिल जाएँ.-विजयलक्ष्मी
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