कलम से..
Sunday, 10 June 2012
वक्त ए बेरुखी ....
वक्त ए बेरुखी का सबब मालूम है महफिल को ..
मेरी राख में दहकता हुआ शोला तन्हाई में जीता है सदा .
वो कौन है ?आवाज दिए जाता है ख्वाबों की ताबिरी का ..
सबक बनाकर मुझे मुझसे ही बेवफाई को कहता है सदा ,..
-- विजयलक्ष्मी
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