इल्जाम ए बेवफाई ...
सियासती चालें चल दी पानी की बात करके
फतवों का असर देखना है बाकी अभी हमको ..
दीप को बुझाकर धुएं का असर देखना है बाकी
हुआ हुक्म शहंशाही है फकीरी मिली हमको ..
चलो खूब मिला जो मिला, मेहरबानी रही ये भी
बेगैरत हुए ,अनाथों सी जिंदगानी मिली हमको..
दुआ है आज भी इतनी ,तेरे अरमान पूरे हों,मंजूर
फतवा ए मौत करलूं , मेरे रब से मिली हमको ..
चल ,चल दिए अब हम पुकारो न मिलेंगे अब
तेरी रुसवाई हमने की, जिंदगी न मिले हमको ..
सलाम आखिरी है ये ,मुरव्वत क्या जमाने से
देश निकाला सजा औ द्रोह का इल्जाम है हमको..
न सुनवाई बस सजा की दरकार है अब तो ,
ढूँढना मत , मेरी मौत तेरे हाथों होगी नसीब
सुहागन ही मर रही हूँ खुश नसीबी मिली हमको .
लहराएगी फसल कोई ,हों सके तो याद कर लेना
दोस्ती की दरकार शायद रास आती नहीं हमको .-विजयलक्ष्मी
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