हर आढ़तिये की भी तो अपनी लाचारी है
सरकारी दुकानों पर भी मारामारी है
राशन की लम्बी कतार बहुत बड़ी बीमारी है
राशन की दूकान भी तो सरकारी है
वोट का नम्बर बिकता है दो वक्त की रोटी में
कुछ रोटी देती है बेटी लाचारी में
दलाल बना है माली खेत को खाता है
कोई करेगा क्या जब बाप को बेटी पर तरस नहीं आता है
दूकान नेताओ का पुराना व्यापार है
ये तो साइड बिजनेस है असली धंधा कुछ और है
ज्यादातर जनता के
हाथों पे दीखता है बिन खुदे ही मेरा नेता चोर है .- विजयलक्ष्मी
सरकारी दुकानों पर भी मारामारी है
राशन की लम्बी कतार बहुत बड़ी बीमारी है
राशन की दूकान भी तो सरकारी है
वोट का नम्बर बिकता है दो वक्त की रोटी में
कुछ रोटी देती है बेटी लाचारी में
दलाल बना है माली खेत को खाता है
कोई करेगा क्या जब बाप को बेटी पर तरस नहीं आता है
दूकान नेताओ का पुराना व्यापार है
ये तो साइड बिजनेस है असली धंधा कुछ और है
ज्यादातर जनता के
हाथों पे दीखता है बिन खुदे ही मेरा नेता चोर है .- विजयलक्ष्मी
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