कलम से..
Friday, 22 June 2012
हर शैह दुनियावी जानती है मुहब्बत को
हर शैह दुनियावी जानती है मुहब्बत को ..
एक इंसान ही बुरी बला है, मानता ही नहीं .
रहता है गुरुर में जाने कौन सा सुरूर है
समझ के दरों पर ताले चढाये बिन ,मानता ही नहीं -विजयलक्ष्मी
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