सत्य तो सूली पर ही चढ़ा है सदा से
झूठ ने कंधा दिया हर बार है
कभी राम को बनवास दिया कभी कृष्ण को रणछोड़
कैसी हुयी मानवता दिया सबको पीछे छोड़
ईसा चढ़े जब से उतारा नहीं आजतक किसी ने भी
पहले मौत का जश्न होगा फिर जिन्दा होने का स्वांग
जिन्दे को मारते रहे ..मारकर पूजते हैं बताकर भगवान
वाह रे तेरी माया निराली है इंसान .- विजयलक्ष्मी
...अनुयायी ही चढाते है सूली पर ..
ईमान के मारे दौलत से नहीं बिके जो बिक जाते है ईमान पर
उन्हें खुदा बनके पूजते हैं ..मानवता खातिर दर्द में भी मिठास है बस पूछते हैं
खुद नहीं चढ़ते कभी सूली
फिर ईसा बनाकर सूली पर ईमान को चढाते है जिसे कहते हैं सभ्य समाज
चलो कुछ इंसानों को आवाज लगते है आज ,
कुछ इंसान मिल गये गर ईसा को सूली से उतरवाते है आज ..
..इसी इंतजार में जिन्दगी बीती युग बीतचले
सब भूल गये सूली का दर्द ...मगर ईसा उस हालात से ज्यादा तडपते होगे आज -- विजयलक्ष्मी
झूठ ने कंधा दिया हर बार है
कभी राम को बनवास दिया कभी कृष्ण को रणछोड़
कैसी हुयी मानवता दिया सबको पीछे छोड़
ईसा चढ़े जब से उतारा नहीं आजतक किसी ने भी
पहले मौत का जश्न होगा फिर जिन्दा होने का स्वांग
जिन्दे को मारते रहे ..मारकर पूजते हैं बताकर भगवान
वाह रे तेरी माया निराली है इंसान .- विजयलक्ष्मी
ईमान के मारे दौलत से नहीं बिके जो बिक जाते है ईमान पर
उन्हें खुदा बनके पूजते हैं ..मानवता खातिर दर्द में भी मिठास है बस पूछते हैं
खुद नहीं चढ़ते कभी सूली
फिर ईसा बनाकर सूली पर ईमान को चढाते है जिसे कहते हैं सभ्य समाज
चलो कुछ इंसानों को आवाज लगते है आज ,
कुछ इंसान मिल गये गर ईसा को सूली से उतरवाते है आज ..
..इसी इंतजार में जिन्दगी बीती युग बीतचले
सब भूल गये सूली का दर्द ...मगर ईसा उस हालात से ज्यादा तडपते होगे आज -- विजयलक्ष्मी
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