Tuesday 24 September 2013

कभी जो इन्तखाब हुआ जैसे पूरा ख्वाब हुआ

कभी जो इन्तखाब हुआ जैसे पूरा ख्वाब हुआ 
लगता रहा हमे भी यही कुछ तो लाजवाब हुआ 

मतलबी ये दुनिया वतन के रहनुमा भी नकारा 
ऐसे में हौसला आना ,दीपक तो लाजवाब हुआ 

तूफ़ान गुजरा अभी गली से ,जलता रहा चिराग
देखिये जरा नजारा रोशन हुआ तो लाजवाब हुआ

मुश्किल है बयाँ इजाफा ए इजतिराब ए हिन्द में 
रोके है कदम उसूल ए इजतिरार तो लाजवाब हुआ

फंस गये सियासती में खुद हुक्मरान ए हिन्द भी
फैला मुल्क में अजब सा अज़ाब भी तो लाजवाब है .- विजयलक्ष्मी

इन्तखाब = चयन ,
इजाफा ए इज्तिराब ए हिन्द -हिन्द में बढती हुयी व्याकुलता (अधीरता )
उसूल ए इजतिरार = नियमों की विवशता (लाचारी ),

1 comment:

  1. तूफ़ान गुजरा अभी गली से ,जलता रहा चिराग
    देखिये जरा नज़ारा रोशन हुआ तो लाजवाब हुआ.… वाह

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