मुर्दों का देश
सन्नाटा तारी यहाँ
चीख सहमी .
खून की होली
मानवता रौंदता
कैसा मानव
राजनीति है
मरती है जनता
वाह रे नेता
भाई दुश्मन
खंजर लिए साथ
लहू में हाथ
किससे कहे
भ्रष्टाचार है फैला
पूरे देश में
घूसखोरी है
जैसे नशे की लत
छूटे कैसे जी ?- विजयलक्ष्मी
सन्नाटा तारी यहाँ
चीख सहमी .
खून की होली
मानवता रौंदता
कैसा मानव
राजनीति है
मरती है जनता
वाह रे नेता
भाई दुश्मन
खंजर लिए साथ
लहू में हाथ
किससे कहे
भ्रष्टाचार है फैला
पूरे देश में
घूसखोरी है
जैसे नशे की लत
छूटे कैसे जी ?- विजयलक्ष्मी
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