Friday, 13 September 2013

मुर्दों का देश

मुर्दों का देश 
सन्नाटा तारी यहाँ 
चीख सहमी .

खून की होली 
मानवता रौंदता 
कैसा मानव 

राजनीति है 
मरती है जनता 
वाह रे नेता

भाई दुश्मन
खंजर लिए साथ
लहू में हाथ

किससे कहे
भ्रष्टाचार है फैला
पूरे देश में

घूसखोरी है
जैसे नशे की लत
छूटे कैसे जी ?- विजयलक्ष्मी

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