अपने गिरेबाँ में भला झांकता कौन है,
खुद कितने पानी में खड़ा आंकता कौन है .विजयलक्ष्मी
सत्ता की नपुंसकता से शीश कटता जवान का ,
बढ़ता कर्ज मरती फसल से मरण होता किसान का .- विजयलक्ष्मी
विरासत में रियासत और हाथ में सियासत ,
किसकी हिम्मत हुयी ,कर सके है शिकायत .- विजयलक्ष्मी
खुद कितने पानी में खड़ा आंकता कौन है .विजयलक्ष्मी
सत्ता की नपुंसकता से शीश कटता जवान का ,
बढ़ता कर्ज मरती फसल से मरण होता किसान का .- विजयलक्ष्मी
विरासत में रियासत और हाथ में सियासत ,
किसकी हिम्मत हुयी ,कर सके है शिकायत .- विजयलक्ष्मी
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