Sunday, 1 September 2013

सूरज का उजाला जिंदगी दे जाता है धरा को
















शबनमी मोती है खिले आंगन में मेरे .
गुलों के नाम पर शहादत लिख सकोगे उनकी ?
लौट लौट कर खिलती है हर बार यूँही ,
मुस्कुराने की कोशिशे... मालूम है मिटना है उसे भी ,
उम्र का तकाजा नहीं ,दुआओं में उन्हें भी खिलने का मौका दे डाले ..
जो मौत के करीब होकर भी जीने ख्वाहिश पाले हैं आज भी ,
वात्सल्य का रंग हर रंग से अलग है उसमे मिलावट नहीं होती ,
पाकीजगी होती है शरारत नहीं होती .
सूरज का उजाला जिंदगी दे जाता है धरा को ,,
खिला जाता है इन्द्रधनुषी रंग औ महका देता है उपवन .-विजयलक्ष्मी 

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