Sunday, 15 September 2013

शुभ प्रभात


                 1.
सूर्य धरती के नव दिवस की आस है ,

अंधकार को मिटाकर चहुँऔर करता प्रकाश है
बादलों की कोटर में जब छिप जाता है 
धरती का चेहरा लगता बहुत उदास है 
कभी तमककर चमक चमक कर अपना रूप दिखाता है ,
जैसे धरती को सहलाकर देता खुद उजास है 
बहती नदिया लहराता सागर खिलते पुष्प ..
धरती को भी जैसे सूरज दर्शन की प्यास है
सिंदूरी रंग से श्रंगारित, नयन दीप ड्योढ़ी पर रखती
मधुरम बेला , अनुपम मिलन सा नित्य अथक प्रयास है .- विजयलक्ष्मी 

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