Sunday, 15 September 2013

काश,आकर रोक लेते तुम !

जीवन प्रतिपल हुआ समर है ,
वक्त का पहिया भी अग्रसर है 
जीवन गाड़ी चलती जा रही है 
दुखसुख की घड़ियाँ उम्रभर हैं .- विजयलक्ष्मी 





आँख से मोती ढलककर बिखरते रहे इंतजार में ,
पलट पलट कर देखते थे काश,आकर रोक लेते तुम !.- विजयलक्ष्मी 

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