Sunday, 8 September 2013

कवि और कविता ...

कवि और कविता ...
जब ह्रदय की अनुभूतिया ह्रदयपट-कागज पर अपनी जगह बना लेती है 
शब्दों में ढलकर भावनाओं के घनीभूत हो जाने पर कभी नयनों से बह जाती है 
कभी लरज कर कभी गरज कर ..उमड़घुमड़ बरस बरस कर 
कभी चोली दामन का साथ लगता कभी जीवन मृत्यु का हालात लगता है 
कोई अहसास जीवन लेकर सब कुछ दे जाता है कुछ छीन लेता है अहसास भी 
बहुत अजब सी गाथा है कविता तेरी भी 
लयबद्धता सुर की सुरम्यता यथानुकूल चली आती है 
घुमड़कर अहसास उतरते है गगन के छोर कहीं दूर मिलने को आतुर 
शब्दों की बारिश कलम के बादलों से मिल बरस जाती है 
हर बार कविता खुद ब खुद रूप बदलकर फिर फिर मिलने चली आती हैं --- विजयलक्ष्मी 

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