Tuesday, 24 September 2013

इन्साफ कब मिलेगा

इन्साफ कब मिलेगा :--
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लटकते चमगादड़ बोले हम तो लटके है उलटे ,
तुम्हे भी उलटे ही लटकना होगा ,,
गहन अँधेरी रात है बहुत लम्बी दूर तलक ,
मंजिल की तलाश में तन्हा भटकना हों ,,
सरोकार किसका किससे है कोई नहीं जानता ,
कानून बना है , दर दर भटकना होगा ,,
बहुत सटीक न भी फिर जितने बने है पाने उसे ,
वक्त ले गलियारों में भटकना होगा ,,
हों सकता तुझे जीते जी इन्साफ न मिले यहाँ ,
रूह को वंशजों संग भी लटकना होगा ,,
न्याय की लड़ाई में इंसाफ की खातिर देख लो ,
हकीकत ,एक जन्म तो लटकना होगा ,,.- विजयलक्ष्मी

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