Wednesday, 25 September 2013

तुम इकरार करो या न

तुम इकरार करो या न ,तुम जानो 
मुझे तुम्हारी बात से नहीं है इनकार |

रंग दिया तुमने किस रंग में मुझे 
आईना पहचानने से करता है इंकार |  

दंगे फसाद की आड़ ले बेचा वतन 
उहापोह,वोट का छीनरही है अधिकार | 

फतवों ने मजाक बना दिया मजहब 
हिंदुत्व को बंधुआ बना रही है सरकार |

ऐशगाह शिक्षालय हुए कार्यालय नासूर
चुनावी शतरंज ये कर रही है बंटाधार | - विजयलक्ष्मी 

No comments:

Post a Comment