Tuesday, 17 September 2013

आज ढूंढ ली राह हमने भी खुदके भटकने से पहले |




आज ढूंढ ली राह हमने भी खुदके भटकने से पहले |
उडी खुशबू महफिल में कुछ उनके बहकने से पहले |

हम देखा किये उन्हें उनकी नज़रें इनायत ही ना हुईं |
क्यूँ गिर रही है बिजलियाँ हमपर चमकने से पहले |

निगाह भरकर देखा किये हम जाने किस सुरूर में |
नजरों में भर लिया था उन्हें पलक झपकने से पहले|

सिहरकर रह गये हम भी ख्याल औ ख्वाब में उनके |
सरगोशियाँ सी होने लगी थी उनसे लिपटने से पहले|

मासूम सी कली थी मैं भी फूल बन महकने से पहले |
चमकती थी चांदनी सी मैं सूरज संग दहकने से पहले|

..विजयलक्ष्मी संग अंजना 

1 comment:

  1. निगाह भरकर देखा किये हम जाने किस सुरूर में |
    नजरों में भर लिया था उन्हें पलक झपकने से पहले...bohat sundar

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