दीदार ए आरजू उनकी मुकम्मल तो हो जरा ,
आईना हमको तो उनको यूँभी हैं दिखाया किये
राज ए सफर है क्या जो कलम चल पड़ी यूँही
राहे निशाँ बदस्तूर हम तो यूँही है सजाया किये
देखे नहीं क्या जहां में , तुमने एसे खुदाई बंदे
आरजू में दिलकी खुदको यूँही है जलाया किये
न शिकवा लबों पे आया न आरजू है मिलन की
खुद में ही जलके खुद को यूँही हैं दफनाया किये
कुछ की आरजू ,रोशन सितारा हो नाम अपना
दर्द ए गम लेके जहां से कोई यूँही है किनारा किये .
- विजयलक्ष्मी
आभार आपका !
ReplyDeletebehtareen....
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteHow to repair window 7 and fix corrupted file without using any software
बेहतरीन
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