कसम न दिया कर मुझको किसी दिन टूट न जाये ,
लगने लगा है डर जिन्दगी हमसे यूँही रूठ न जाये .- विजयलक्ष्मी
ये जिन्दगी के रंग है जो मिलके चल दिए ,
कुछ रंगे थे उसने कुछ हम रंग के चल दिए .- विजयलक्ष्मी
ए नाजनीन ये पलके न उठाना जाने कितने कत्ल हो जायेंगे ,
वस्ल में गुजरती है रात हमारी तन्हा दिन भी कत्ल हो जायेंगे .विजयलक्ष्मी
लगने लगा है डर जिन्दगी हमसे यूँही रूठ न जाये .- विजयलक्ष्मी
ये जिन्दगी के रंग है जो मिलके चल दिए ,
कुछ रंगे थे उसने कुछ हम रंग के चल दिए .- विजयलक्ष्मी
ए नाजनीन ये पलके न उठाना जाने कितने कत्ल हो जायेंगे ,
वस्ल में गुजरती है रात हमारी तन्हा दिन भी कत्ल हो जायेंगे .विजयलक्ष्मी
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