Sunday, 15 December 2013

कसम न दिया कर मुझको..

कसम न दिया कर मुझको किसी दिन टूट न जाये ,

लगने लगा है डर जिन्दगी हमसे यूँही रूठ न जाये .- विजयलक्ष्मी





ये जिन्दगी के रंग है जो मिलके चल दिए ,

कुछ रंगे थे उसने कुछ हम रंग के चल दिए .- विजयलक्ष्मी




ए नाजनीन ये पलके न उठाना जाने कितने कत्ल हो जायेंगे ,

वस्ल में गुजरती है रात हमारी तन्हा दिन भी कत्ल हो जायेंगे .
विजयलक्ष्मी



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