Sunday, 15 December 2013

वाह रे हिन्दुस्तान,,,

बारिश ए बेवक्त .. लिए बेजाँ तूफ़ान संग ,
ए जिन्दगी आज जीने का सीखेंगे नया रंग .- विजयलक्ष्मी



सन्नाटा करता है शंखनाद जब जब सडको पर खनककर ,
गूंजती है अहसास की पायल, घुंघरू बोल उठते छनक कर. - विजयलक्ष्मी




उदासी अच्छी नहीं लगती हमे चेहरे पर तुम्हारे ,
तुम्हे खुशिया भेजने की चाहत मन में थी हमारे .- विजयलक्ष्मी




वाह रे हिन्दुस्तान ..........निराली तेरी शान ,
रुतबा ए शान ए हिंदी का हुआ अंग्रेजी मकान .

क्यूंकि ..
अंग्रेजी मेंम है लाजिमी है अंग्रेजी सिलसिला ,
हिंदी का पुरूस्कार भी अंग्रेजी में लिखा मिला .- विजयलक्ष्मी

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