Thursday, 26 December 2013

नव वर्ष की उत्सुकता है

नव वर्ष की उत्सुकता है जाने कैसा होगा ,
कुछ हंसता सा प्रसन्न होता सा या सोया सोया सा होगा 
मौज मनाता ख़ुशी लुटाता या फिर लूटने वाला होगा 
आजादी आजाद मिलेगी या आजाद होकर भी बंधा बेड़ियों में होगा 
आंगन आंगन गुल महकेंगे या बस महके हुए गुल ..गुल होंगे 
रोटी रोजी मिलेगी सब को या चेहरों पर फिर उदासी होगी 
सेवा देश की सच में होगी या सरकार धन की प्यासी होगी 
सूरज फिर महकेगा निखर निखर या सर्द कोहरे में लिपटा होगा
पर्यावरण सुधरेगा कुछ या इस बार भी कागज तक सिमटा होगा
वन सुरक्षा की गारंटी देंगा कौन ...
या दावानल पर हर अधिकारी होगा मौन
हवा रुपहली बह पायेगी या चिमनिया फक्ट्र्यियो की धुंआ भरी होगी
गंगाजल निर्मल खूब होगा ..
या चला अब तक जितना भी नाटक उसी का प्रारूप होगा
है इंतजार सपने सजने का या फिर इंतजार ही खूब होगा .-- विजयलक्ष्मी

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