Saturday, 7 December 2013

बुद्धि खरीदों और चूसकर फेंक दो कूड़ेदान में ..

योग्यता की चाहत किसे नहीं होती 
लेकिन यहाँ आरक्षण जारी है 
धर्म भी यहाँ आरक्षित श्रेणी के मारे है 
कुछ हैं जो अल्पसंख्यक का राग अलापे हैं 
अपने धर्म के नाम इनके तन मन धन सब कांपे हैं 
राजनैतिक परचम जाति धर्म के नाम पर फैहराते है 
आबादी की गिनती बर्बादी पर भारी है 
वतन परस्तों के घर अँधेरा तारी है 
वैसे बिजली पानी का बिल ...पूरा 
भरणपोषण पर ही आरक्षण भारी है 
बुद्धि के मारे सारे कट्टरता का पाठ पढ़े ..
खुद कुछ करते नहीं बस उन्माद फसाद इन्होने जनता के मत्थे मढ़े
राजनीति का सारा रूप विकृत कर दिया
घोटाले , स्कैम ,भ्रष्टाचार आरक्षित श्रेणी में महत्वपूर्ण अध्याय हैं
नस्ल देखकर पालनपोषण की खातिर गोद लिया जाता है
चुप तमाशा देखने वाले को हाथोहाथ लिया जाता है
यहाँ ..काबिज है सत्ता राजवंश की तर्ज पर
पदोंन्नति मिलती है आरक्षित श्रेणी संग क्रमानुगत मर्ज पर
रोजी जुगाड़ पर चलती हैं
योग्यता का आधार जगत का सार बना कलदार है
बाकि बची योग्यता में भाई भतीजावाद की भरमार है
बुद्धि खरीदों और चूसकर फेंक दो कूड़ेदान में
शिक्षा व्यापर की अधिसूचना मिलेगी अनुदान में .-विजयलक्ष्मी

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