सौगात ए मुहब्बत मिली मुस्करा रही हूँ मैं ,
हाँ, मुहब्बत हो गयी है तुमसे निभा रही हूँ मैं .- विजयलक्ष्मी
चाक दिल ए मगमूम को दुआ से भर दिया हमने ,
हो सके किसी हाल फिजा ए तारीकी जिया हमसे .- विजयलक्ष्मी
चाक दिले-मग़मूम = संतप्त विदीर्ण हृदय
फ़िज़ा ए तारीकी = अँधेरी दिशा
ज़िया = रोशन
शब्द व्यर्थ लगते है जब ख़ामोशी बोलती है ,
सन्नाटा चीखता है जब पूरी दुनिया डोलती हैं.- विजयलक्ष्मी
हाँ, मुहब्बत हो गयी है तुमसे निभा रही हूँ मैं .- विजयलक्ष्मी
चाक दिल ए मगमूम को दुआ से भर दिया हमने ,
हो सके किसी हाल फिजा ए तारीकी जिया हमसे .- विजयलक्ष्मी
चाक दिले-मग़मूम = संतप्त विदीर्ण हृदय
फ़िज़ा ए तारीकी = अँधेरी दिशा
ज़िया = रोशन
शब्द व्यर्थ लगते है जब ख़ामोशी बोलती है ,
सन्नाटा चीखता है जब पूरी दुनिया डोलती हैं.- विजयलक्ष्मी
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