शब्द शब्द अब असर करते नहीं बाकी ,
चलो जिन्दगी से ही जिन्दगी को खेला जाये
कुछ कदम राह छोड़ चले हो तुम खुद ही
लगता है आज यही से एक मोड़ मोड़ा जाये
बहुत नाकाम सी जिन्दगी अदाए हैं अपनी
कुछ नाकामियों को राह में ही छोड़ा जाये
हद से गुजरने की ख्वाहिशें आड़े आगयी अपनी
रूह को अब रास्ते पर ही क्यूँ न तन्हा छोड़ा जाये
दरमियाँ मौत के मैयखाना ए जिन्दगी सी
कौन कहता है कि अब भी पीना छोड़ा जाये .- विजयलक्ष्मी
चलो जिन्दगी से ही जिन्दगी को खेला जाये
कुछ कदम राह छोड़ चले हो तुम खुद ही
लगता है आज यही से एक मोड़ मोड़ा जाये
बहुत नाकाम सी जिन्दगी अदाए हैं अपनी
कुछ नाकामियों को राह में ही छोड़ा जाये
हद से गुजरने की ख्वाहिशें आड़े आगयी अपनी
रूह को अब रास्ते पर ही क्यूँ न तन्हा छोड़ा जाये
दरमियाँ मौत के मैयखाना ए जिन्दगी सी
कौन कहता है कि अब भी पीना छोड़ा जाये .- विजयलक्ष्मी
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