Monday, 23 December 2013

जिधर देखो उधर मुजफ्फरनगर है

पढ़े लिखे से तबके से ज्यादा की ही अपेक्षा थी ,
करेंगे "गे रक्षा "की बात गाय की कब अपेक्षा थी ...(सरकार का ग्लोबेलाईजेशन होगया है न ).-- विजयलक्ष्मी




कहूं एक बात गर तुमसे थोडा सा तो विचारना 
प्रेम निराकार ब्रह्म है तो रिश्ता साकार उपासना .- विजयलक्ष्मी





उत्तरप्रदेश का अजब ही मंजर है 
जिधर देखो उधर मुजफ्फरनगर है .- विजयलक्ष्मी




कुछ फलसफे दुनियावी है जमाने की तहरीर में ,
जिन्दगी को सत्य की मौत का आइना मिल चुका .- विजयलक्ष्मी









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