Friday, 13 December 2013

ए काश, हम ही बेवफा ...अच्छा रहता ,

ए काश, हम ही बेवफा हो जाते तो अच्छा रहता ,
जिन्दगी तेरे रहते साथ मेरी मौत चली आती अच्छा रहता !

इंतजार करूं या छोड़ दूं सांस अब नाम लेकर तेरा 
आखिरी नजरों में बसा तेरा ही नजारा होता  अच्छा रहता !

या खुदा मेरी आँखों में कोई न समाये आज के बाद 
जो दिया शुक्रिया उसका ,पहले ही बता देता अच्छा रहता !

नजर को छिपाकर क्या खता छिप जायेगी बता 
मुझको छोड़ा होता और भीतरतक डुबाकर अच्छा रहता !

सरहद छलकी तेरी ख़ुशी के पैमानों से ए हमसफर
तुम्हे दिशा अपनी बदलनी थी ,पहले बताते अच्छा रहता !

मुबारकें ,आबाद रहे जहां तेरा.. हर लम्हा खुशनुमा हो
रोका कब, ये सफर पहले ही तय कर लेते अच्छा रहता !.- विजयलक्ष्मी 

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