हर अंदाज जुदा है दुनिया से मगर ...
अब लेना क्या है दुनिया से अगर ...
कहे तो बोल उठेंगे होठ ,है बेचैनी ...
कह दिया कितना नजरों से मगर ...
तिश्नगी नजरो की उतर गयी मुझमे
न मिटेगी प्यास उम्रभर ये मगर ..
कोई रास्ता नहीं मंजिल है सामने
कदम भर सही है फासला ये मगर ...
कुआ कहूं या प्यासा बता क्या कहूं
प्यास ही बह उठी दरिया सी मगर ...- विजयलक्ष्मी
अब लेना क्या है दुनिया से अगर ...
कहे तो बोल उठेंगे होठ ,है बेचैनी ...
कह दिया कितना नजरों से मगर ...
तिश्नगी नजरो की उतर गयी मुझमे
न मिटेगी प्यास उम्रभर ये मगर ..
कोई रास्ता नहीं मंजिल है सामने
कदम भर सही है फासला ये मगर ...
कुआ कहूं या प्यासा बता क्या कहूं
प्यास ही बह उठी दरिया सी मगर ...- विजयलक्ष्मी
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