बस्ती जम गयी सर्द मौसम में अलाव गिनती के भी नहीं ,
शहर के किस कोने में हवा ठहरी है ,तूफ़ान उठाने के लिए .--विजयलक्ष्मी
मेरे शहर से होकर गुजरती है भागीरथ की तपस्या की निशानी ,
हवा लगी जहरीली इतनी ,जमाने ने उसे भी गंदा करने हैं ठानी.-- विजयलक्ष्मी
जहर हवा में घोला सरकार ने इसकदर हर कोई अपराधी नजर आता है ,
शहर में दंगे इतने होने लगे हर तीसरा शख्स उनका साथी नजर आता है .-- विजयलक्ष्मी
शहर के किस कोने में हवा ठहरी है ,तूफ़ान उठाने के लिए .--विजयलक्ष्मी
मेरे शहर से होकर गुजरती है भागीरथ की तपस्या की निशानी ,
हवा लगी जहरीली इतनी ,जमाने ने उसे भी गंदा करने हैं ठानी.-- विजयलक्ष्मी
जहर हवा में घोला सरकार ने इसकदर हर कोई अपराधी नजर आता है ,
शहर में दंगे इतने होने लगे हर तीसरा शख्स उनका साथी नजर आता है .-- विजयलक्ष्मी
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