Monday, 23 December 2013

तुम जाग रहे हम सो जाये !

तुम जाग रहे हम सो जाये !जीवन सपनों में खो जाये ,
जब ख्वाब अधूरे हो जाये मन वीणा तार-तार हो जाये .

गर ख्वाब रुपहला नयनों की चिलमन में आ बस जाये 
संवरे मन आंगन भी लकदक पुष्पित बार बार हो जाये .

गा उठे बयार भी कोई बीतराग मन मेरे आंगन आंगन ,
चित्र विचित्र सा जीवन चरित्र भी उजियार संसार हो जाये .

राग भोर का गा उठा सूरज मन चंचल किरणों सवार 
भ्रमर गूंजते कलियन कलियन क्यूँ न विहार हो जाए

थिरक नाच उठती तितली भी वसंत वसन्ती निहार
और झूमते पुष्प लता पर जैसे जीवन बहार हो जाये .- विजयलक्ष्मी

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