तुम जाग रहे हम सो जाये !जीवन सपनों में खो जाये ,
जब ख्वाब अधूरे हो जाये मन वीणा तार-तार हो जाये .
गर ख्वाब रुपहला नयनों की चिलमन में आ बस जाये
संवरे मन आंगन भी लकदक पुष्पित बार बार हो जाये .
गा उठे बयार भी कोई बीतराग मन मेरे आंगन आंगन ,
चित्र विचित्र सा जीवन चरित्र भी उजियार संसार हो जाये .
राग भोर का गा उठा सूरज मन चंचल किरणों सवार
भ्रमर गूंजते कलियन कलियन क्यूँ न विहार हो जाए
थिरक नाच उठती तितली भी वसंत वसन्ती निहार
और झूमते पुष्प लता पर जैसे जीवन बहार हो जाये .- विजयलक्ष्मी
जब ख्वाब अधूरे हो जाये मन वीणा तार-तार हो जाये .
गर ख्वाब रुपहला नयनों की चिलमन में आ बस जाये
संवरे मन आंगन भी लकदक पुष्पित बार बार हो जाये .
गा उठे बयार भी कोई बीतराग मन मेरे आंगन आंगन ,
चित्र विचित्र सा जीवन चरित्र भी उजियार संसार हो जाये .
राग भोर का गा उठा सूरज मन चंचल किरणों सवार
भ्रमर गूंजते कलियन कलियन क्यूँ न विहार हो जाए
थिरक नाच उठती तितली भी वसंत वसन्ती निहार
और झूमते पुष्प लता पर जैसे जीवन बहार हो जाये .- विजयलक्ष्मी
No comments:
Post a Comment