Thursday, 1 August 2013
हर कदम दुनिया अजब सी पाठशाला है
हर कदम दुनिया अजब सी पाठशाला है
जहां किताबे नहीं मिलती न दिशा ज्ञान की दिक्सूची कोई
काश मिलता किताबों में तो कोई फेल न होता
होती न इम्तेहाँ सी कदम कदम दुनिया
कोलम्बस से चलते तो बहुत हैं ...मगर कितनों को नसीब होती है दुनिया
कोई रिश्ता कोई आवाज गर देख ले सम्भल कहने की नजर से भी
खुदाई साथ दीखता है उसी कदम पर
जब सफर तय हो और मंजिल मिलती है दुनिया भी उसी का संज्ञान करती हैं
चलते हैं सफर जाने कितने कोलम्बस नित्य ही
कितने पार लगते हैं ..
धरती को मापने की जाने कितने ख्वाहिश रखते है
जो मौत को बताकर धता उतरते पार मंजिल पर
उन्ही को लिख किताबों में सभी फिर याद करते हैं
यहाँ हर कोई कोलम्बस है अपनी अपनी तकदीरों का
खींचता है खाका कोई ,,,कोई कहता है खाया तहरीरों का
मौजूं मगर बाकी दीखता है सदा तकरीरो का
यही सच है ...झूठा फलसफा नहीं कोई ..
हर कदम दुनिया अजब सी पाठशाला है
जहां किताबे नहीं मिलती न दिशा ज्ञान की दिक्सूची कोई
काश मिलता किताबों में तो कोई फेल न होता .- विजयलक्ष्मी.
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