शब्दिका ,,,,
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हे कृष्णा
आपका मक्खन
गजब
ढा रहा है.…
खाने के नहीं,
लगाने के
ज्यादा काम
आ रहा है...---प्रकाश प्रलय
...
...इसीलिए
तो
हर नेता
भी
चिकना होता जा रहा है
घोटालों से लिप्त
है
मगर
फिर भी
पकड़ा नहीं जा रहा हैं .- विजयलक्ष्मी
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हे कृष्णा
आपका मक्खन
गजब
ढा रहा है.…
खाने के नहीं,
लगाने के
ज्यादा काम
आ रहा है...---प्रकाश प्रलय
...
...इसीलिए
तो
हर नेता
भी
चिकना होता जा रहा है
घोटालों से लिप्त
है
मगर
फिर भी
पकड़ा नहीं जा रहा हैं .- विजयलक्ष्मी
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