ये सूरज ये हवाए करते तुम्हारी बाते !
ये बदलियाँ बरस करते तुम्हारी बाते !
नाजुक शबनमी बूंदों सी तुम्हारी बाते !
कांटे भी करने लगे अब तुम्हारी बाते !!
रात चांदनी से भी हुयी तुम्हारी बाते !
तन्हाई ,रुसवाई करते तुम्हारी बाते !
चंचल चपला चपल भी तुम्हारी बाते !
रुबाइयों को सुना करते तुम्हारी बाते !!
धरती गगन भी करते तुम्हारी बाते !
महक खनक,मेहँदी सी तुम्हारी बाते !
काजल रोली सिंदूरी सी तुम्हारी बाते!
अँधेरे,दीपक से करते तुम्हारी बाते !!
थिरकती तितलियों सी तुम्हारी बाते !
देह बर्तन रूह नर्तन सी तुम्हारी बाते !
सहरा में खिलते गुलाब तुम्हारी बाते !
मुझमे तुम,तुमसे करते तुम्हारी बाते !!- विजयलक्ष्मी
ये बदलियाँ बरस करते तुम्हारी बाते !
नाजुक शबनमी बूंदों सी तुम्हारी बाते !
कांटे भी करने लगे अब तुम्हारी बाते !!
रात चांदनी से भी हुयी तुम्हारी बाते !
तन्हाई ,रुसवाई करते तुम्हारी बाते !
चंचल चपला चपल भी तुम्हारी बाते !
रुबाइयों को सुना करते तुम्हारी बाते !!
धरती गगन भी करते तुम्हारी बाते !
महक खनक,मेहँदी सी तुम्हारी बाते !
काजल रोली सिंदूरी सी तुम्हारी बाते!
अँधेरे,दीपक से करते तुम्हारी बाते !!
थिरकती तितलियों सी तुम्हारी बाते !
देह बर्तन रूह नर्तन सी तुम्हारी बाते !
सहरा में खिलते गुलाब तुम्हारी बाते !
मुझमे तुम,तुमसे करते तुम्हारी बाते !!- विजयलक्ष्मी
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