Wednesday, 14 August 2013

लौट आओ तुम

" एक ही गम है जो खाए जा रहा है दिल को 
इस गम से जरा सा ही सही उबर आओ तुम 

ये जानते है इस इश्क की मजिल नहीं है कोई 
कहता है दिल फिर भी मुझे डूब जाओ तुम ..

साये यादों के तुम्हारी बसे हैं जो दिल में अमीत 
कैसे कह दूँ उनको कि दिल से मिट जाओ तुम ..

आशियाँ प्यार का अपने खुद ही तो लुटाया मैंने
आज भी मगर रो के कहता है दिल 'लौट आओ तुम "
'.- विजयलक्ष्मी 

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