Monday, 5 August 2013

सत्यनिष्ठ रहकर सत्य के लिए मरेगी

सत्य है कंपता है जो झूठ का परचम लिए है ,
उगलो तथ्य शापित जीवन ही जीते है सत्य को साथ लिए 
और मृत्यु वरण को भी तैयार हुए 
हमे दुख सहन करने की क्षमता के लिए पाठशाला नहीं जाना पड़ता ..
कंधा नहीं तलाशते किसी का ..बंदूक के लिए 
मानसून का सच खारा समन्दर जानता है ..
कह दो राम को सोख ले समन्दर सारा और हवाओं को दे दे ..जन्म जन्मो के लिए 
शांत हो जाएगा ...मिट जायेगा क्लेश ,,
आओ सात्विक मृत्यु का वरण करें अब ...
जो सत्य से शुरू होकर सत्यनिष्ठ रहकर सत्य के लिए मरेगी
.- विजयलक्ष्मी

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