Thursday, 1 August 2013

अरे ओ सरकार घूम घुमाकर हर बार छीन लेती हो चैन मेरा



अरे ओ सरकार घूम घुमाकर हर बार छीन लेती हो चैन मेरा 
बहुत दर्द देती हो मुझे भूखा ही मार देती हो 
दिखाकर सब्जबाग जन्नत से कायदों में मार जाती हो 
तेरे कानून मेरी हद को तोड़ने की फ़िराक में रहते हैं 
मुझे हर बार जिन्दगी का दिखाकर ख्वाब से मार जाती हो 
कभी बारह रूपये का खाना कभी अंदाज पांच रूपये का
कमाई तीस रूपये से ज्यादा पर मुझे अमीर बना जाती हो
रुपया गिर गया इतना अब उठाना भी मुश्किल है
गरीबी का मजाक तुम बहुत अच्छा निभाती हो ..
इक्कीस प्रतिशत गरीबी कहकर ...खाद्य सुरक्षा बिल में लाभ साठ प्रतिशत बताती हो
बताओ ये कैसा गोर्ख धंधा है बड़ी मुश्किल में बन्दा है
हुआ भगवान अँधा है या फिर नाराज बहुत मुझसे ..
खुदरा माफ़ कर अबतो ...जरा सी अक्ल अब देदे निगोड़ी हुयी सरकार को
कभी तो सोच ले मैया ...मिटाने की भ्रष्टाचार को ..
अरे ओ मौन सिंह ...अब तो तोड़ दो तोड़ दो मौन अपना ..
बहुत मुश्किल में भारत है जरा सा ध्यान दो अपना .
- विजयलक्ष्मी

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