Wednesday, 28 August 2013

शहीदों की शाहदत से जनता के मन डोल रहे

शहीदों की शाहदत से जनता के मन डोल रहे ,
मार भगाओ दुश्मन को चीख चीखकर बोल रहे|| 

कायर है ये देश के शासक कब तक लहू बहायेंगे 
लहू उगलती छाती देख लहू माओ के खौल रहे ||

रुंद पड़ा धरा पर मुंड विहीन सिहरा भाई का सीना
क्यूँ नहीं उठाते बंदूक हाथ में भाई भी ये बोल रहे||

दिल्ली दिल भारत का है ये खेल का मैदान नहीं ,
कायर सीने पर वार करो राखी के बंधन बोल रहे ||

कब तक भारत माता ,इन कायरों को यूँ ढोएगी
बाहर निकालो इन्हें देश से कण कण भूमि के बोल रहे ||- विजयलक्ष्मी

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