अर्थशास्त्री के हाथ में अर्थशास्त्र कैसा ये औजार है
लेकिन मेरा प्यारा वतन किया अर्थशास्त्री ने बेकार है ||
भ्रष्टाचार घूसखारों संग घोटालो का वो खरीदार है
विश्वपटल पर दिवालिया देश का चस्पा समाचार है ||
नीतियाँ रीत गयी औ चुप्पी से हुआ बहुत बेजार है
आतंकवाद बढ़ रहा खजाना खाली से रंगा अखबार है||
सोना बैठा चढकर सिरपर अंधेरगर्दी का व्यापर है
शेयर बाजार गिरा धडाम छाया कैसा ये अन्धकार है||
किससे करे उम्मीद देश का कैसे होना सुधार है
रुपया गिरा गर्त में डालर को कीमत का उपहार है ||- विजयलक्ष्मी
लेकिन मेरा प्यारा वतन किया अर्थशास्त्री ने बेकार है ||
भ्रष्टाचार घूसखारों संग घोटालो का वो खरीदार है
विश्वपटल पर दिवालिया देश का चस्पा समाचार है ||
नीतियाँ रीत गयी औ चुप्पी से हुआ बहुत बेजार है
आतंकवाद बढ़ रहा खजाना खाली से रंगा अखबार है||
सोना बैठा चढकर सिरपर अंधेरगर्दी का व्यापर है
शेयर बाजार गिरा धडाम छाया कैसा ये अन्धकार है||
किससे करे उम्मीद देश का कैसे होना सुधार है
रुपया गिरा गर्त में डालर को कीमत का उपहार है ||- विजयलक्ष्मी
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