Sunday, 4 August 2013

छाती पर ही वार करेंगे हम

नजर बची ,माल यारों का फलसफा सुना हमने भी दोस्तों 
दुश्मनी का रंग बेहतर, ईमान के रंग से निभाया करेंगे हम 
नफरत है उनसे जो स्वार्थ के वशीभूत धोखे से वार करते हैं 
मौत का क्या है आनी ही है ,उसका भी इन्तजार करेंगे हम .
कसम खुद्दारी की ईमान की ईमानदारी की याद रखना तुम ,
पीठ क्यूँ .. जख्म जब भी देंगे, छाती पर ही वार करेंगे हम .
- विजयलक्ष्मी 

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