Saturday 31 August 2013

दिल भी खाली ही रहा लुड़कते प्यालों की तरह ,


दिल भी खाली ही रहा लुड़कते प्यालों की तरह ,

जरूरत ही खत्म हों चली कदमों से फासलों की तरह .

किनारे बैठें है यूँ  समन्दर के हम भी प्यासे ही ,

मिलकर भी तो जलना ही था शमा पतंगों की तरह.
- विजयलक्ष्मी


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