Friday, 30 August 2013

उडी खुशबू महफिल में कुछ



आज ढूंढ ली राह हमने भी खुदके भटकने से पहले |

उडी खुशबू महफिल में कुछ उनके बहकने से पहले ||

हम देखा किये उन्हें उनकी नज़रें इनायत ही ना हुईं |
क्यूँ गिर रही है बिजलियाँ हमपर चमकने से पहले ||

निगाह भरकर देखा किये हम जाने किस सुरूर में |
नजरों में भर लिया था उन्हें पलक झपकने से पहले||

सिहरकर रह गये हम भी ख्याल औ ख्वाब में उनके |
सरगोशियाँ सी होने लगी थी उनसे लिपटने से पहले||

मासूम सी कली थी मैं भी फूल बन महकने से पहले |
चमकती थी चांदनी सी मैं सूरज संग दहकने से पहले||
...विजय &अंजना

No comments:

Post a Comment